Darood e Mahi – दरूद ऐ माही पढ़ने के 5 बड़े फायदे |

अस्सलामु अलैकुम आज मै आपको Darood e Mahi और इसके पढ़ने की फ़ज़ीलत के बारे मे बताने जा रहा हु । दोस्तों जिस तरह अल्लाह का कलाम पढ़ने की बड़ी फ़ज़ीलत है उसी तरह हमारे नबी ने बहुत सारी दुआ हमे बताई जिन्हे पढ़ने से दुनिया मे भी फायदा होता है ।

और हमारी आखिरत के लिए भी जखीरा बन जाती है । तो आज हम आपको ऐसी दरूद बताने वाले है जिससे आपको दुनिया मे भी बहुत सारे फायदे मिल सकते है और आपकी आखिरत को भी कामयाब कर सकते है । इसे Darood e Mahi के नाम से हम लोग जानते है ।

दोस्तों इसके पढ़ने के जो भी फायदे है वो सारे आज हम आपको बताएंगे । इसलिए पोस्ट को आखिर तक जरूर पढे ।

Darood e Mahi

اَللّٰهُمَّ صَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓى اٰلِ مُحَمَّدٍ خَيْرِ الْخَلَآئِقِ

وَاَفْضَلِ الْبَشَرِ وَشَفِيْعِ الْاُمَمِ يَوْمَ الْحَشْرِ وَالنَّشْرِ وَ صَلِّ عَلٰى سَيِّدِنَا

مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓى اٰلِ سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍمْ بِعَدَدِ كُلِّ مَعْلُوْمٍ لَّكَ وَصَلِّ عَلٰى مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓى اٰلِ

مُحَمَّدٍ وَّبَارِكْ وَصَلِّ عَلٰى جَمِيْعِ الْاَمْبِيَآءِ وَالْمُرْسَلِيْنَ

وَصَلِّ عَلٰى كُلِّ الْمَلَآئِكَةِ الْمُقَرَّبِيْنَ وَعَلٰى عِبَادِ اللّٰهِ الصّٰلِحِيْنَ وَسَلِّمْ تَسْلِيْمًا كَثِيْرًا كَثِيْرًا

بِرَحْمَتِكَ وَبِفَضْلِكَ وَ بِكَرْمِكَ يَآ اَكْرَمَ الْاَكْرَمِيْنَ بِرَحْمَتِكَ يَآ اَرْحَمَ الرَّاحِمِيْنَ

يَا قَدِيْمُ يَا دَآئِمُ يَا حَيُّ يَا قَيُّوْمُ يَا وِتْرُ يَآ اَحَدُ يَا صَمَدُ يَا مَنْ لَّمْ يَلِدْ وَلَمْ يُوْلَدْ

وَلَمْ يَكُنْ لَّهُ كُفُوًا اَحَدٌ بِرَحْمَتِكَ يَآ اَرْحَمَ الرَّاحِمِيْنَ

Darood e Mahi in hindi :

अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मदियो वा अला आली मुहम्मदिन

खैरिल खलाई-की वा अफजलिल बशरी व शफी-इल उममी

यौमल हशरी वन नशरी व सल्ली अला सय्यिदीना मुहम्मदियो

वा अला आली सय्यिदिना मुहम्मदिम बिअदादी कुल्ली

मालोमिल लका व सल्ली अला मुहम्मदियों व अला आली

मुहम्मदियों वबारिक व सल्ली अला जमी-इल अंबिया-ई

वल मुरसलीना वा सल्ली अला कुल्लिल मलाई-कतिल

मुकर्रबीना वा अला इबादिल लाहिस सालीहीना

वा सल्लिम तसलीमन कसीरन कसीरा

बिरहमतिका वबी फजलिका वबि कर्मिका या अकरमल

अकरमीन बि-रहमतिका या अरहमर-राहीमीन

या कदीमु या दाइमु या हय्यु या कय्यूमु या वितरु या अहदु या समदु

या मल लम यलिद वलम यूलद

वलम यकुल लहू कुफुवन अहद बि-रहमतिका या अरहमर-राहिमीन

तर्जुमा : ऐ अल्लाह दरूद भेज मुहम्मद सल्ल ० पर और इनकी आल पर जो मखलूक़ मे सबसे बेहतर है और अफजल बशर है और यौमे हशर व नशर मे उम्मत के शफ़ीअ  है और सेईदना मुहम्मद पर मुहम्मद की आल पर मालूम अदद की हद तक दरूद नाज़िल फरमा । मुहम्मद सल्ल ० और इनकी आल पर दरूद और बरकत और सलामती हो तमाम अंबिया और रसूलों पर दरूद भेज (नाज़िल फरमा) ।

तमाम मुक़र्रब मलाइका और सालिह (नेक) बंदों पर ज्यादा से ज्यादा दरूद और सलाम भेज अपनी रहमत अपने फजल और अपने करम के साथ । ऐ सबसे ज्यादा करम  करने वाले ऐ सबसे ज्यादा रहम करने वाले साथ अपनी रहमत के ।

ऐ क़दीम ऐ हमेशा रहने वाले ऐ जिंदह , ऐ कायम , ऐ वित्र , ऐ अहद ऐ बेनियाज़ जिसे किसी ने जना नहीं है और न वो किसी से जना गया है और ना हीं इसके जोड़ का कोई है , ऐ रहम करने वाले अपनी रहमत के साथ हमारे ऊपर रहम कर । आमीन

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Darood e Mahi ki fazilat :

एक रोज हमारे हुज़ूर रसूल अल्लाह सल्ल ० मदीना मनव्वरह की मस्जिद मे बैठे हुए थे । उनके पास एक अराबी आया और एक तबाक़ के ऊपर सरपोश दिया हुआ (ढका हुआ बर्तन) नबी करीम सल्ल ० के आगे रख दिया ।

हुज़ूर करीम ने पूछा के इसमे क्या है ? अराबी ने जवाब दिया या रसूल अल्लाह सल्ल ० 3 रोज हो गए मै इस मछली को पका रहा हु लेकिन ये पकती नहीं इसको आग का असर ही नहीं होता अब मै इसको आपके पास लाया हु , आप इसको अच्छी तरह जान सकते है ।

हुज़ूर ने इस मछली से पूछा वह बाहुकुम खुदा बोलने लगी मछली ने अर्ज किया के या रसूल अल्लाह सल्ल ० एक रोज मै पानी मे खड़ी थी , एक आदमी इस दरूद शरीफ़ (Darood e Mahi) को पढ़ रहा था के उसकी आवाज मेरे कानों मे पहुंची और मैंने कुछ नहीं किया ।

हुज़ूर ने हुक्म दिया के इस दरूद को सुना मछली ने darood sharif (Darood e Mahi) को सुना दिया । हुज़ूर सल्ल ० ने फरमाया ऐ अली रजि ० इस दरूद शरीफ को लिख लो और लोगों को सिखा दो , इनशाल्लाह दौजख की आग उस बंदे पर हराम हो जाएगी ।

ये फ़ज़ीलत तो Darood e Mahi की सबसे बड़ी और आखिरत मे काम आने वाली है । इसके अलावा भी इसके पढ़ने की कुछ फ़ज़ीलते और है वो हम आपको यहां जिक्र कर देते है ।

(1)

इस दरूद को पढ़ने वाला हर किस्म की आफत और मुसीबत से अल्लाह की हिफाजत मे रहता है । जो भी अल्लाह का बंदा इस दरूद को कसरत से पढ़ेगा तो वो दुश्मन के हमलों से और हसद करने वाले के हसद और जिन्नात व आसेब के परेशान करने से अल्लाह की हिफाजत मे रहेगा ।

(2)

Darood e Mahi शैतान के वसवसों को भी दूर करता है । जो भाई- बहन इस दरूद को फ़जर की नमाज़ के बाद 111 मरतबा पढ़ेगा तो अल्लाह तआला अपनी मखलूक़ मे से एक फरिश्ता इसके लिए मुकर्रर कर देता है और हर तरीके से उसकी हिफाजत फरमाता है ।

(3)

जो शख्स इस दरूद को हर नमाज़ के बाद एक मर्तबा पढ़ेगा तो वो दुनिया वालों की नज़रों मे बाइज़्ज़त हो जाता है यानि अल्लाह उसकी इज्जत दुनिया वालों की नज़रों मे बढ़ा देते है । दुनिया वाले उसकी बहुत इज्जत करते है और उसके साथ अच्छा सुलूक करते है ।

(4)

जो शख्स भी ये चाहता है के उसे अल्लाह के नबी की ज़ियारत नसीब हो जाए तो वो रमजान के महीने मे इसके पढ़ने का मामूल बना ले और नमाज़ ऐ तरावेह के बाद 41 मर्तबा इसे रोजाना पढे , तो इनशाल्लाह उसे नबी की ज़ियारत नसीब होगी।

(5)

अगर कोई बे गुनाह जेल मे कैद हो जाए तो Darood e Mahi को कसरत से पढ़ने पर उसे रिहाई मिल जाएगी । इसके अलावा जो भी इस दरूद को रोजाना पढ़ेगा उसके लिए दौजख की आग हराम हो जाएगी ।

आज आपने क्या सीखा । 

दोस्तों आज आपने Darood e Mahi की दुआ को सीखा है , हमने पूरी कोशिश की है आपको आसान लफ्जों मे बताने की इनशाल्लाह आपकी समझ मे आ गई होगी । इसके अलावा आपने इसकी फ़ज़ीलत को भी जाना है । दोस्तों इसके पढ़ने से कितने सारे फायदे है जो हमे मिल रहे है तो आप खुद भी इस दुआ को पढिए और अपने अहल ऐ खाना को पढ़ाइए और अपने दोस्तों तक भी इसे पहुंचाए । मिलते है अगली पोस्ट मे तब तक आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala मे बने रहे , अस्सलामु अलैकुम ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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