Dua Mangne ka Tarika | Dua ki fazilat in Quran 2022

अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल लाही वबा रकातुहू क्या आपको Dua mangne ka tarika मालूम नहीं है या आप कन्फ्यूज़ रहते है के अल्लाह से किस तरह दुआ मांगे जो हमारी दुआ कुबूल हो जाए। आज हम आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala मे आपको मुकम्मल जानकारी के साथ Dua mangne ka tarika बताएंगे । इसलिए  पोस्ट को आखिर तक लाज़मी पढे ।

दोस्तों दुआ के माइने पुकारने और बुलाने के है , मतलब ये के अपनी हाजत के लिए अल्लाह तआला को पुकारा जाए ताकि वो हमारी जरूरतों को पूरा कर सके । दोस्तों दिन भर मे न जाने हमे कितनी जरूरते पेश आती है कभी हम इस बात पर गौर नहीं करते के हमारी जरूरत को कौन पूरा करता है । अल्लाह की नियामतों का शुक्र भी अदा नहीं करते ।

नाज़रीन आज हम आपको सही  Dua mangne ka tarika बताएंगे , ताकि आप जब भी दुआ मांगे तो आपकी दुआ जरूर कुबूल हो ।

Dua mangne ka tarika

दोस्तों हर चीज का कुछ न कुछ अदब होता है इसी तरह दुआ के भी कुछ आदाब और शराइत है अगर हम उन आदाबों और शराइत को ध्यान मे रखकर और पाबंदी के साथ अल्लाह से दुआ करे तो इनशाल्लाह हमारी दुआ कुबूल होंगी वरना दुआ की कुबूलियत की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए ।

दुआ करने वाला बीमार की तरह होता है बीमार अगर तंदरुस्ती चाहता है तो उस के लिए दवा के साथ परहेज करना और नुकसान देने वाली चीजों से बचना जरूरी है । अगर दवा करता रहे और परहेज न करे तो उसका सेहत याब होना मुश्किल है । इसी तरह दुआ करने वाला ये चाहता है के मेरी दुआ कुबूल हो तो उसे दुआ करते वक़्त कुछ आदाब और शराइत की पाबंदी करना जरूरी है । Dua mangne ka tarika नीचे देखे ।

Dua mangne ka sahi tarika ये है के आप जब भी अल्लाह से दुआ मांगे या आपको कोई जरूरत पेश आए तो सबसे पहले वुजु (वज़ू का तरीका ) करले क्यूंकि दुआ से पहले वुजु करना मुस्तहब है । वुजु के बाद दो रकात नफ़िल नमाज़ पढे । नबी अकरम सल्ल ० का इरशाद है के जिसने अच्छी तरह वुजु करके 2 रकात नमाज़ पढ़ी फिर अपने रब से दुआ की तो उसकी दुआ बहुत ही जल्दी कुबूल होती है ।

Dua mangne ka tarika /dua ke sharait (शराइत) :

दोस्तों जिस तरह नमाज़ की कुछ शर्ते होती है अगर उन्हे पूरा न किया जाए तो नमाज़ मुकम्मल नहीं होती । इसी तरह दुआ की भी कुछ शर्ते है यानि उन शर्तों को ध्यान मे रखकर दुआ माँगनी चाहिए नहीं तो दुआ की कुबूलियत की उम्मीद नहीं है । Dua mangne ka tarika

  •  ईमान कामिल के साथ इखलास भी जरूरी है । यानि सिर्फ अल्लाह तआला का ख्याल दिल व दिमाग और जुबान पर हो । गैर का खयाल बिल्कुल न हो क्यूंकि बिला इखलास के कोई भी अमल कुबूल नहीं होता ।
  • दुआ करने वाला झूट बोलने , मुकर और फरेब देने , शराब नोशई , हसद ,तकबबुर ,कीना , गीबत और चुगली वगैरह गुनाह करने से बचे क्यूके ये सब गुनाहे कबीरा है ।

Dua mangne ka tarika / dua ke adab (मुस्तहब) :

दोस्तों दुआ मांगते वक़्त कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए जो दुआ मे पसंद फरमाई गई है या इनके करने से दुआ बहुत जल्द कुबूल होती है । इन बातों को मुस्तहब कहते है ।

  • वुजु करके किबले की तरफ रुख करना ।
  • दुआ मांगने से पहले नमाज़ हाजत पढ़ना या कोई नेक काम करना जैसे सदक़ा वगैरह करके दुआ मांगना ।
  • दुआ मांगने के लिए दो ज़ानो बैठना यानि अत्ताहीययात की हालत मे बैठना ।
  • दुआ मांगने से पहले और बाद मे अल्लाह तआला की हम्द व सना करना यानि अल्लाह को उसके प्यारे-प्यारे नामों से पुकारकर और surah fatiha पढ़कर दुआ शुरू करना ।
  • इसी तरह दुआ के अव्वल और आखिर मे नबी अससलातु वस सलाम पर दुरूद व सलाम भेजना ।
  • दोनों हाथ फैलाकर और हाथों के दरमियान थोड़ा स फ़ासला रखना ।
  • दोनों हाथों को सीने तक उठाना और आहिस्ता आवाज मे दुआ मांगना ।
  • दुआ के वक़्त अल्लाह तआला के शायान ऐ शान आदाब व अहतराम को इख्तियार करना । दिल की गहराइयों से और पूरी कोशिश के साथ अल्लाह से दुआ मांगे ।
  • नबी के वसीले मे दुआ मांगना और अपने गुनाहों का इकरार करना ।
  • रसूल अल्लाह सल्ल ० से जो दुआ-ऐ सही अहदीस मे मनकूल है उन्ही को इख्तियार करना यानि हमारे नबी ने वो तमाम दुआ बता दी है जिनकी हमे सख्त जरूरत होती है ।
  • अल्लाह की हम्द व सना और नबी पर दुरूद और सलाम के बाद अपने से दुआ शुरू करना फिर अपने वालिदैन और फिर तमाम मोमिनो और मुसलमानों के लिए दुआ करना।
  • एक दुआ कम से कम 3 मर्तबा मांगे । मुसीबत के वक़्त मे अपने नेक आमाल का जिक्र करना यानि उनके वास्ते से दुआ मांगना ।
  • दुआ से फ़ारिग़ होकर दोनों हाथ मुंह पर फेरना ।
  • दुआ मांगते वक़्त दिल मे ये ख्याल रखना के मेरा रब मुझे देख रहा है और अल्लाह से खूब गिड़गिड़ाकर मांगों अपने दिल मे ये अकीदा रखना के अल्लाह मेरी दुआ जरूर कुबूल फरमाएगा । आप अपनी तमाम हाजत और परेशनी को अल्लाह से बयान करे , बेशक हमारा रब हर चीज के बारे मे खूब जनता है ।
  • दुआ की कुबूलियत मे जल्द बाजी न करे मतलब यू न कहे के मै इतने दिन से मांग रहा हु और अल्लाह मेरी दुआ नहीं सुन रहा । अल्लाह के खजाने मे कोई कमी नहीं है कमिया तो हमारे मांगने मे है । दुआ मुखतसर सी हो लेकिन उसके अल्फ़ाज़ जामा हो ।

ये तमाम बाते Dua mangne ka tarika मे आते है या इन तमाम कामों को दुआ मे इख्तियार करने का हुक्म फरमाया गया है ।

Dua mangne ka tarika /dua ke adab (मकरूह) :

दुआ मे कुछ आदाब ऐसे है जिन्हे नापसंद फरमाया गया है यानि मकरूह इन कामों से बचना आदाब के अंदर आते है । इन कामों को दुआ मांगते वक़्त नहीं करना चाहिए ।

  • दुआ मांगने के वक़्त आसमान की तरफ निगाह उठाना ।
  • दुआ मे बेतकल्लुफ़ काफिया बंदी से परहेज न करना ।
  • दुआ मे बेतकल्लुफ और खुश इलहानी इख्तियार करना ।
  • किसी दुआ पर ऐराज न करे कि मेरी ये दुआ तुझे कुबूल ही करनी होगी ।
  • अल्लाह की रहमत मे तंगी न करे यानि सिर्फ अपने लिए ही मगफिरत की दुआ मांगना दूसरों के लिए नहीं ।

ये तमाम बाते Dua mangne ka tarika मे ध्यान रखनी जरूरी है तब ही हमारी कोई भी दुआ कुबूल होंगी और ये Dua mangne ka tarika मुकम्मल हुआ ।

नाज़रीन Dua mangne ka tarika तो आपकी समझ मे आ गया होगा ।  इसके अलावा क्या आपको दुआ मांगने की फ़ज़ीलत का पता है । अल्लाह ने कुरान मजीद मे दुआ करने वालों का जिक्र फरमाया है । इसके अलावा दुआ मांगने की फ़ज़ीलत हदीस मे भी बहुत कसरत से वारिद हुई है । यहां हम आपको चंद फ़ज़ीलत बता देते है ।

dua ki fazilat in quran

दुआ की फ़ज़ीलत कुरान मे । (1) रसूल अल्लाह सल्ल ० ने कुरान की कुछ आयते तिलावत फरमाई ;

و قال ربكم ادعوني استجب لكم ان الذين يستكبرون عن عبادتي سيدخلون جهنم داخرين

तर्जुमा : और तुम्हारे रब ने फरमाया है , के तुम मुझसे दुआ मांगा करो मै तुम्हारी दुआ कुबूल करूंगा । बे शक जो लोग मेरी इबादत से सरताबी करते है वो जरूर जहन्नुम मे दाखिल होंगे और जलील-ओ खवार होंगे ।

(2) अल्लाह तआला फरमाता है ,

اجيب دعوة الداع اذا دعان

तर्जुमा : जब पुकारने वाला मुझे पुकारता है तो मै उसकी पुकार को सुन लेता हु ।

(3) अल्लाह तआला फरमाता है ,

ادعوا ربكم تضرعا وخفية

तर्जुमा : लोगों अपने रब को गिड़गिड़ाकर और चुपके-चुपके मांगों ।

इसके अलावा भी बहुत सारी दुआ की फ़ज़ीलत है जो अल्लाह तआला ने कुरान मजीद मे जिक्र फरमाई है ।

dua ki fazilat in hadees

नाज़रीन हदीस मे बे शुमार dua ki fazilat है । यहां हम आपको चंद हदीस बता देते है ।

(1) रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया अल्लाह तआला के यहां दुआ से ज्यादा और किसी चीज की वकत नहीं और फरमाया के दुआ मोमिन का हथियार है ,दीन का सुतून है और आसमान व जमीन का नूर है । अगर आप भी इन सारी नियामतों को हासिल करना चाहते है तो Dua mangne ka tarika और उसके आदाब व शराइत पर जरूर गौर फरमाए ।

(2) एक हदीस शरीफ मे रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया , जो शख्स ये चाहे के अल्लाह तआला उसकी दुआ सखतियों और मुसीबत के वक़्त कुबूल फरमाए तो उसे चाहिए के फराखी और खुशहाली मे भी अल्लाह से खूब दुआ मांगा करे ।

(3) रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के दुआ ही इबादत है , दुआ इबादत का मगजुज़ (गुदा) है । और फरमाया अल्लाह तआला के नजदीक दुआ से ज्यादा इज्जत वाली चीज और कुछ नहीं । दुआ तकदीर को भी फेर देती है और दुआ हर मुसीबत को रोकने वाली है ।

(4) अल्लाह तआला दुआ करने वाले से बहुत खुश होता है । दुआ करने वाले की दुआ कुबूल फरमाता है और जो कुछ माँगता है उसे अता करता है । मगर ये सब तब ही मुमकिन है जब Dua mangne ka tarika हमने जो आपको ऊपर बताया है उसे ध्यान मे रखे यानि इसके आदाब और शराइत को ध्यान मे रखकर दुआ मांगे ।

(5) रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया : तुममे से जिस शख्स के लिए दुआ का दरवाजा खोल दिया गया (दुआ मांगने की तौफीक दे दी गई) उसके लिए रहमत के दरवाजे खोल दिए गए । अल्लाह तआला से जो दुआ मांगी जाती है उन्मे अल्लाह को सबसे ज्यादा पसंद (दुनिया और आखिरत) की आफियत या भलाई की मांगी जाने वाली दुआ है ।

(6) रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के जो भी मुसलमान कोई चीज मांगने के लिए अल्लाह तआला की जानिब मुँह उठाता है और दुआ माँगता है अल्लाह उसको वो चीज जरूर देते है या इसके वास्ते (दुनिया और आखिरत मे) इसको जखीरा कर देते है ।

इसके अलावा भी बहुत सारी हदीस है जिनमे dua ki fazilat का पता चलता है । अब आप समझ गए होंगे की अल्लाह दुआ करने वाले से कितना खुश होता है सिर्फ अल्लाह ही ऐसा है के उससे जितना मांगा जाए वो उतना ही उस शख्स से खुश होता है ।

लेकिन ये जब ही होगा जब आप पूरे यकीन के साथ और दिल लगाकर अल्लाह से दुआ करेंगेऔर Dua mangne ka tarika जो हमने आपको ऊपर बयान फरमाया है उन सब बातों पर अमल करके अल्लाह से दुआ मांगेंगे ।

आज आपने क्या सीख । 

आज आपने Dua mangne ka tarika , Dua mangne ka sahi tarika , namaz ke baad Dua mangne ka tarika और इसके अलावा इसके आदाब और शराइत को भी जाना है । अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्त और अहबाब तक भी पहुंचाए । नाज़रीन हमारा मकसद दीन की मुकम्मल और सही जानकारी आप तक पहुँचाना है ।

 

 

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