namaz ke baad ki dua जिनका लोग सबसे ज्यादा एहतमाम करते है |

अस्सलामु अलैकुम दोस्तों आज हम आपको अपने इस आर्टिकल मे namaz ke baad ki dua  के बारे मे बताएंगे | इससे पहले हमे नमाज़ के बारे मे पता होना बहुत जरूरी है | अल्लाह ने दिन रात मे हर बालिग़ मर्द और औरत पर पाँच नमाज़े फर्ज की है | ईमान के बाद सबसे मुक़द्दम और अल्लाह के नजदीक इबादत का सबसे अहम तरीका नमाज़ है |

दिल को फ़ारिग़ करके और पूरे यकीन के साथ जब कोई अल्लाह के आगे झुकता है और अपने गुनाहों की तौबा करता है ,तो अल्लाह उससे बहुत खुश होता है |अल्लाह से मदद मांगने के लिए farz namaz ke baad ki dua का एहतमाम करना बहुत जरूरी है |

नमाज़ दीन का सतून है, जिसने इसे कायम रखा उसने दीन को कायम रखा , जिसने इसे गिरा दिया , उसने दीन को गिरा दिया | namaz ke baad ki dua को पढ़ने से समुद्र के झाग के बराबर गुनाह भी माफ हो जाते है | हमारी कोई भी दुआ तब ही कुबूल होगी जब हम नमाज़ को कायम रखेंगे |

namaz ke baad ki dua  की बहुत बड़ी फ़ज़ीलते है | इसका जिक्र बहुत सी हदीस मे हुआ है | दुआ का मतलब अल्लाह को पुकारने के है| अल्लाह के नजदीक दुआ से ज्यादा इज़्ज़त वाली चीज और कुछ नहीं है और दुआ तकदीर को भी बदल देती है |

हदीस कुदसी मे आया है अल्लाह कहते है कि ,”मै अपने बंदे के गुमान (अनुमान) के साथ हु जैसा वो मेरे मुतालिक (अनुसार) गुमान रखता है मै वैसा होता हु और मै इसके साथ होता हु ,

जब वो मुझे याद करता है चाहे वो अपने दिल मे मुझे याद करे तो मै भी अपनी तन्हाई मे उसे याद करता हु , और अगर वो किसी मजमे (भीड़भाड़) मे मेरा जिक्र करता है तो मै भी इसके मजमे से बेहतर मजमे यानि (फरिश्तों के मजमा) मे इसका जिक्र करता हु” |

namaz ke baad ki dua पढ़ने की कुरान और हदीस मे बहुत ताकीद हुई है और उनकी फ़ज़ीलते भी बताई गई है | अल्लाह के रसूल स० , ने नमाज़ के बाद की दुआ का जिक्र बहुत सी हदीस मे किया है , जोकि हम आपको तर्जुमे और फ़ज़ीलतों के साथ बताएंगे और सभी दुआ अरबी मे पढ़ने और याद करने की कोशिश करे , हिन्दी मे अरबी का तलफ्फुज सही नहीं होता है जिससे दुआ के माने भी बदल जाते है |

Table of Contents

पहली दुआ  namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ (सूरह फातिहा )

हिन्दी मे दुआ : अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन (1) अर्राहमानिर रहीम (2) मालिकी यउ मिद्दीन (3)  इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन (4) इहदिनस सिरातल मुस्तक़ीम (5) सिरातल लजीना अन अमता अलैहिम (6)  गयरिल मगज़ूबि अलैहिम वलज्जवाल्लीन (7)

                                              ال الحمد لله رب العالمين (1) الرحمن الرحيم (2)مالك يوم الدين (3)  اياك نعبد واياك نستعين (4) اهدنا الصراط المستقيم (5) صراط الذين انعمت عليهم  (6) غير المغضوب عليهم ولا الضالين

तर्जुमा : सब तारीफ अल्लाह के लिए है जो सारे जहां का मालिक है (1) बहुत महरबान निहायत रहम वाला है (2) इंसाफ के दिन का मालिक है (3) हम तेरी ही इबादत करते है और तुझी से मदद चाहते है (4) हम को सीधा रास्ता दिखा (5) उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने फजल (मेहरबानी) किया (6) न उन लोगों का रास्ता जिन पर तेरा गजब हुआ और न उन लोगों का जो रास्ते से भटक गए |

फ़ज़ीलत (फायदा) : नबी अकरम सल्ल० ने फरमाया कि , सूरह फातिहा मे हर बीमारी से शिफ़ा है , एक रिवायत मे लिखा है कि , जो शख्स सूरह फातिहा को रात मे पढ़ कर सोता है उसके पास मौत के इलावा कोई भी बला नहीं आती | सूरह फातिहा सवाब मे दो तिहाई कुरान के बराबर है |

दूसरी दुआ namaz ke baad ki dua (आयतुल कुर्सी )

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहु ल इलाहा इल्ला हुआ – अल हय्युल कय्यूम , ला ताखुजु सिनतौ वला नौम – लहू मा फिस् समावाति वमा फिल अर्ज – मन् जल् लजी यसफाउ इन् दहू इल्ला बिइजनिही यालमु मा बयना अइदीहिम वमा खल्फहुम – वला युहीतूना बिसयहिम मिन् इल्मिही इल्ला बिमा शा – वसिआ कुरसिय्यु हुस समावाति वल अर्ज – वला य ऊदुहू हिफ़ज़ुहुमा – व हुवल् अलिय्युल अज़ीम (255) सूरह बकरा |

الله لا اله الا هو الحي القيوم  لا تاخذه سنه ولا نوم. له ما في السماوات وما في الارض. من ذا الذي يشفع عنده الا باذنه يعلم ما بين ايديهم. وما خلفهم ولا يحيطون بشيء. من علمه الا بما شاء وسيع كرسيه السماوات والارض. ولا يؤوده حفظهما. وهو العلي العظيم

तर्जुमा : अल्लाह ताला मआबूद बर्हक है जिसके सिवा कोई इबादत के लायक नहीं है जो सब को थामने वाला है , जिसे न ऊंघ आए न नींद , इस की मल्कियत (संपत्ति) मे जमीन और आसमान सब चीज़े है , कौन है जो इसकी इजाजत के बगैर इसके सामने शिफ़ात कर सके , वो जानता है जो इनके सामने है ओर जो इनके पीछे है वो इसके इल्म मे से किसी चीज का अहाता (चारदीवारी) नहीं कर सकते मगर जितना वो चाहे , इसकी कुर्सी की वसीयत ने जमीन आसमान को घेर रखा है और अल्लाह इनकी हिफ़ाज़त से न थकता है न उकताता है ,वो तो बहुत बुलंद ओर बहुत बड़ा है |

फ़ज़ीलत (फायदा) : एक हदीस मे मुरवी है कि , आयतुल कुर्सी कुरान की आयतों की सरदार है , हुज़ूर सल्ल० ने इरशाद फरमाया कि जो शख्स आयतुल कुर्सी हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद पढे तो इसके और जन्नत के दरमियान सिर्फ मौत हाइल (ओला) होगी (जैसे ही मरेगा जन्नत मे दाखिल होगा)|       (कनजुल अमाल 300\2 तरगीब 299\2)

तीसरी दुआ namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ (दरूद शरीफ)

हिन्दी मे दुआ : इन्नल्ला हा व मलाइका तहू युसल्लू न अलन्न नबियी या अय्यू हल्ल लज़ीना आमनू सल्लू अलयहि व सल्लिमू तसलीमा

ان الله وملائكته. يصلون على النبي. يا ايها الذين امنوا صلوا عليه. وسلموا تسليما                                                                                                                                           ا

तर्जुमा : बेशक अल्लाह तआला और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते है नबी सल्ल० पर , ऐ ईमान वालों तुम उन पर दरूद और खूब सलाम भेजो

फ़ज़ीलत : इस दरूद की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है , नबी सल्ल० ने फरमाया कि , क़यामत के दिन मेरे सबसे करीब वो शख्स होगा जिसने सबसे ज्यादा मुझ पर दरूद भेजा होगा | एक और हदीस मे आया है कि नबी सल्ल० ने फरमाया असली बख़ील (कंजूस) वो शख्स है जिसके सामने मेरा जिक्र हो और उसने मुझ पर दरूद न भेजा हो |

चौथी दुआ namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ (सूरह इखलास) 

हिन्दी मे दुआ : क़ुल हु वल्ला हु अहद (1) अल्लाहुस् समद (2) लम यलिद वलम यूलद (3) वलम यकुल लहु कुफ़ुवन अहद (4)

(4) قل هو الله احد (1) الله الصمد (2)  لم يلد ولم يولد (3)  ولم يكن له كفوا احد

तर्जुमा : आप (इन लोगों से) कह दीजिए के वो यानि अल्लाह एक है , अल्लाह ही बे नियाज़ है , इसकी औलाद नहीं, और न वो किसी की औलाद है और न कोई इसके बराबर का है

फ़ज़ीलत : जो भी namaz ke baad ki dua मे सूरह इखलास 10 मर्तबा पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे जिस दरवाजे से चाहे जन्नत मे दाखिल करेगा | वो शख्स जिस हूर से चाहे शादी कर ले | ( इब्ने कसीर 616 सफह जीम 5)

पाँचवी दुआ namaz ke baad ki dua  नमाज़ के बाद की दुआ (सूरह फलक) 

हिन्दी मे दुआ : क़ुल अऊज़ु बिरब्बिल फलक़ (1) मिन शर्रि मा ख़लक़ (2) व मिन शर्रि ग़ासिकिन इज़ा वकब (3) व मिन शर्रिन् नफ्फा साति फिल उकद (4) व मिन शर्रि हासिदिन इज़ा हसद (5)

قل اعوذ برب الفلق (1) من شر ما خلق (2) ومن شر غاسق اذا وقب (3) ومن شر النفاثات في العقد (4) ومن شر حاسد اذا حسد (5)

तर्जुमा : आप कहिए के मै सुबह के मालिक की पनाह लेता हु , तमाम मखलुक की की बुराई से और अंधेरी रात की बुराई से जब वो रात आ जावे और गिरहों मे पढ़ पढ़ कर फूंकने वालियों की बुराई से ,और हसद करने वाले की बुराई से जब वो हसद करने लगे

फ़ज़ीलत : जो शख्स सूरह इखलास ,सूरह फलक , सूरह नास फ़जर की नमाज़ के बाद की दुआ मे 3 -3 मर्तबा पढ़ेगा तो उस की हर चीज से किफायत ( कमी पूरी होना) हो जाएगी | (सही तिरमीजी )

छठी दुआ namaz ke baad ki dua  नमाज़ के बाद की दुआ (सूरह नास) 

हिन्दी मे दुआ : कुल अऊज़ु बिरब्बिन् नास (1) मलिकिन् नास (2) इलाहिन् नास (3) मिन शर्रिल वसवा सिल ख़न्नास (4) अल्लज़ी युवसविसु फी सुदूरिन्नास (5) मिनल जिन्नति वन्नास (6)

قل اعوذ برب الناس (1) ملك الناس (2) اله الناس (3) من شر الوسواس الخناس (4) الذي يوسوس في صدور الناس (5) من الجنه والناس (6)

तर्जुमा : आप कहिए के मै आदमियों के मालिक , आदमियों के बादशाह , आदमियों के मआबूद की पनाह लेता हु वसवसे डालने वाले पीछे हटने वाले (शैतान) की बुराई से जो लोगों के दिलों मे वसवसे डालता है , चाहे वो (वसवसे डालने वाला) जिन्नात मे से हो या आदमियों मे से हो

फ़ज़ीलत : एक रिवायत मे लिखा है के जो शख्स (सूरह इखलास, सूरह फलक , सूरह नास) हर नमाज़ के बाद की दुआ मे पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसे हर बला से बच लेगा |

सातवी दुआ namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ (शहादत का दर्जा पाने के लिए) 

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहुम्मा बारिक ली फिल मौति व फीमा बादल मौत

اللهم باركلي في الموتى وفيما بعد الموت

तर्जुमा : ऐ अल्लाह मुझे मौत मे बरकत अता फरमा और मौत के बाद जो होना है उस मे भी बरकत अता फरमा

फ़ज़ीलत : हज़रत आयेशा ने हुज़ूर सल्ल० से फरमाया के, क्या कोई शख्स बगैर शहादत के भी शहीदों के साथ हो सकता है? हुज़ूर सल्ल० ने फरमाया के जो शख्स दिन रात मे 20 मर्तबा मौत को याद करे वो हो सकता है |

जो भी इस दुआ को हर namaz ke baad ki dua 5 मर्तबा पढ़े तो वो शहादत के दर्जे मे हो सकता है | (मरकात जिल्द 5 सफह 270)

आठवी दुआ namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ (दोज़ख की आग से बचने के लिए) 

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन्नार

اللهم اجرني من النار

तर्जुमा : ऐ अल्लाह निजात दे मुझे दोज़ख से

फ़ज़ीलत : जो शख्स इस दुआ को फ़जर और मग़रिब की नमाज़ के बाद 7-7 मर्तबा पढ़ेगा तोअल्लाह तआला उसे दोज़ख की आग से महफूज (सुरक्षित) कर देगा , और शहीदों का मर्तबा हासिल होगा |

नवी दुआ namaz ke baad ki dua / नमाज़ के बाद की दुआ (सुन्नत नमाज़ के बाद) |

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहुम्मा अ इन्नी अला ज़िकरि क व शुकरि क व हुस्नि इबादति क

اللهم اعني على ذكرك وشكرك وحسن عبادتك

तर्जुमा : ऐ अल्लाह हमारी मदद फरमा के हम (पर जरूरी है) तेरा जिक्र करे और तेरा शुक्र अदा करे , और तेरी अच्छी इबादत करे

फ़ज़ीलत : इस दुआ को हर सुन्नतों के बाद पढ़ने से अल्लाह बहुत खुश होता है और इसकी हर परेशानी को दूर करता है | (अबु दाऊद)

दसवी दुआ namaz ke baad ki dua  नमाज़ के बाद की दुआ (दुनिया और आखिरात की आफ़ियत) 

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहुम्मा इन्नी अस अलुकल मुआफा त फिद्दुन्या वल आखिरः

اللهم اني اسالك المعافاة في الدنيا والاخره

तर्जुमा : ऐ अल्लाह मै आपसे दुनिया और आखिरत की आफ़ियत (खैरियत) माँगता हु

फ़ज़ीलत : इब्ने मजीर की रिवायत है अल्लाह के नबी रसूल० सल्ल० ने फरमाया के , इंसान की मांगी जाने वाली दुआओ मे सबसे बेहतर दुआ ये है क्यूंकि इस दुआ मे दुनिया और आखिरात की सारी भलाइया है | जो भी इस दुआ को हर नमाज़ के बाद 1 मर्तबा पढ़ेगा तो अल्लाह तआला उसकी दुनिया व आखिरत की हर परेशानी को दूर कर देगा|

ग्यारहवी दुआ namaz ke baad ki dua नमाज़ के बाद की दुआ ( सय्यदुल इस्तगफार)

हिन्दी मे दुआ : अल्लाहुम्मा अन्ता रब्बी ला इलाहा अन्ता खलक्तनी व अना अब्दुका व अना अला अहदिका व वादिका मस्ता तातु अऊज़ु बिका मिन शर्रि म सनातु अबूउ लका बि निमति का अलय्या व अबूउ बिजम्बि फग फिरली फ इन्नहू ला यग फिरुज्जुनूबा इल्ला अन्ता

اللهم انت ربي لا اله الا انت خلقتني  وانا عبدوكا واناعلى عهدك و وعدك ما استطعت اعوذ بك من شر ما صنعت ابو لك بنعمتك علي وابوء بذنبي فاغفر لي فانه لا يغفر الذنوب الا انت

तर्जुमा : ऐ अल्लाह तू ही मेरा पर्वर दिगार है , तेरे सिवा कोई मआबूद नहीं , तूने ही मुझे पैदा किया है और मै तेरा ही बंदः हु और मै तेरे वादे और अहद पर कायम हू| जितना मुझ से हो सका मै तुझ से माँगता /माँगती हु उन (तमाम गुनाहों) के शर से जो मेने किए है और मेरे ऊपर् जो तेरी नैमते हाईऊनक एतराफ़ करता /करती हु और मै अपने गुनाहों का भी इकरार करता /करती हु, बस तू मेरे गुनाहों को बख्श दे इस लिए के तेरे सिवा और कोई गुनाहों को नहीं बख्श सकता |

फ़ज़ीलत : हमारे नबी पाक सल्ल० ने फरमाया ,  सय्यदुल इस्तगफार के ये कलमात जो शख्स सुबह को दिल के पूरे यकीन के साथ पढे और फिर उसी रोज इंतकाल हो जाए तो वो जन्नती है और जो शख्स रात को यकीन ऐ कामिल के साथ पढे और सुबह होने से पहले वफ़ात पा जाए तो वो अहले जन्नत मे से है |                                                                                                                                                                                                                                                                              (बुखारी)

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हिन्दी मे दुआ : अस्तग फिरुल्लाहल् लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा अल् हय्युल क़य्यूमु व अतूबु इ लयहि

استغفر الله الذي لا اله الا هو الحى القيوم واتوب اليه

तर्जुमा : मै अल्लाह से मगफिरत तलब करता /करती हु | जिस के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं , वही जिंदह और कायम रहने वाला है और मै इसकी तरफ रुजू करता/करती हू |

फ़ज़ीलत : हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रजि० रिवायत करते है के रसूल० सल्ल० ने इरशाद फरमाया , जो शख्स पाबंदी से इस्तगफार करता रहता है अल्लाह तआला इस के लिए हर तंगी से निकलने का रास्ता बना देते है हर ग़म से इसे निजात अता फरमाते है और इसे ऐसी जगह से रोजी अता फरमाते है जहां से इसे गुमान भी नहीं होता |                                                                                                                                                                                                        (अबु दाऊद)

 

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