Qaza Namaz Ka Tarika | नमाज़ छोड़ने पर 15 तरह के अज़ाब

अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल लाही वबा रकातुहू मेरे प्यारे भाइयों और बहनों क्या आप Qaza namaz ka tarika नहीं जानते है, या आप की बहुत सारी नमाजे छूँट गई है । जिसकी वजह से आप बहुत परेशान है । प्यारे दोस्तों आप बिल्कुल भी परेशान न हो आज हम आपको क़ज़ा नमाज़ पढ़ने का सही तरीका बताएंगे ।

दोस्तों नमाज़ अल्लाह का हक है जिसका अदा करना हर बालिग़ मर्द और औरत पर फर्ज है । जिस तरह नमाज़ पढ़ने की फ़ज़ीलत हदीस मे बयान फरमाई गई है उसी तरह इसके छोड़ने पर बहुत सख्त अज़ाब भी बताए गए है । नमाज़ की अहमियत इतनी बड़ी है के हमारे प्यारे नबी सल्ल ० ने विसाल के वक़्त भी नमाज़ नहीं छोड़ी और अपनी उम्मत को भी यही वसीयत फरमाई के नमाज़ न छोड़ना ।

नाज़रीन आज हम आपको Qaza namaz ka tarika और इसके अलावा बहुत कुछ बताने वाले है । इसलिए पोस्ट को आखिर तक जरूर पढे ताकि आपको क़ज़ा नमाज़ की मुकम्मल जानकारी मिल सके ।

Qaza Namaz ka Tarika

दोस्तों आज हम बिना किसी वजह के कई कई दिन की नमाज़े छोड़ देते है । दोस्तों नमाज़ का छूटना दो तरीके का हो सकता है यानि एक तो वो नमाज़ जो हमारी किसी मजबूरी की वजह से छूट जाए तो उसकी क़ज़ा पढ़ने से अदा हो जाती है और दूसरा वो जो हम जानकर छोड़ देते है । लेकिन इसकी कोई क़ज़ा नहीं है क्यूंकि ये हमने जान कर छोड़ी है और ऐसी नमाज़ फौत हो जाती है ।

सबसे पहले आप क़ज़ा नमाज़ , अदा नमाज़ और क़ज़ा ए उमरी नमाज़ मे फरक जान ले ।

 Qaza e Umri Namaz

क़ज़ा नमाज़ : दोस्तों क़ज़ा नमाज़ उसे कहते है जो नमाज़ का वक़्त है अगर उस वक़्त के बाद पढ़ी जाए या जो वक़्त नमाज़ का मुकर्रर किया गया है अगर वो वक़्त किसी मजबूरी , गफलत या और किसि वजह से निकल जाए तो वो क़ज़ा नमाज़ होगी । मगर जो नमाज़ हमने जानकर छोड़ी तो उसकी क़ज़ा नहीं है । इसका सिर्फ एक ही हल के अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा करे और astaghfar का एहतमाम करे ।

अदा नमाज़ : दोस्तों अदा नमाज़ तो सभी को मालूम होगी । जो नमाज़ सही वक़्त पर पढ़ी जाए या अव्वल वक़्त मे पढ़ी जाए तो वो अदा नमाज़ कहलाती है । अव्वल वक़्त वो है जब अज़ान की आवाज सुनो तो नमाज़ की तय्यारी शुरू कर दो ।

क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ : ये वो नमाज़ है जिसकी कई सालों की नमाज़े क़ज़ा हो गई हो । इसके नाम से पता चलता है के जो नमाज़े हमारी सारी उम्र मे क़ज़ा हुई है या जब से आप बालिग़ हुए है। उसे क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ कहते है । इसके अलावा अगर हमारी कुछ दिन या हफ्ते की नमाज़ क़ज़ा हुई है तो उन्हे क़ज़ा नमाज़ ही कहेंगे ।

क़ज़ा नमाज़ की रकात

दोस्तों क़ज़ा नमाज़ मे सिर्फ फर्ज और वाजिब पढे जाते है सुन्नत और नफ़िल माफ है । अब आप खुद ही अंदाज़ा लगा सकते है के

फ़जर के 2 रकात फर्ज ,

जोहर की 4 रकात फर्ज ,

असर की 4 रकात फर्ज ,

मग़रिब की 3 रकात फर्ज और

ईशा की 4 रकात फर्ज और 3 रकात वित्र वाजिब पढे जाएंगे ।

इस तरह कुल 20 रकात आपको दिन मे पढ़नी है । इसके साथ ही साथ कुछ फुकहा ने क़ज़ा नमाज़ को मुखतसर पढ़ने का तरीका भी बताया है ताकि हमारी क़ज़ा नमाजों मे कमी न हो सके और हमारे लिए आसानी हो जाए ।

 Qaza e Umri Namaz ka Tarika

दोस्तों अगर आपकी 2-4 दिन या कई दिन की नमाज़े क़ज़ा हुई है और आपको दिन और तारीख याद है और अगर आपकी एक दिन की नमाज़ क़ज़ा है तो आप तरतीब से यानि पहले फ़जर फिर जुहर फिर उसके बाद वाली इस तरह अदा करे और अगर एक दिन से ज्यादा नमाज़े क़ज़ा है तो आप पहले कोई भी नमाज़ पढ़ सकते है ।

Fajar ki Qaza Namaz ka Tarika in Urdu

दोस्तों अगर आपकी एक दिन की फ़जर की नमाज़ क़ज़ा हुई है तो आप इस तरह नियत करे । नियत करता हु / करती हु मै 2 रकात नमाज़ फर्ज की वक़्त क़ज़ा फ़जर का वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर ।

अगर आप क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ पढ़ रहे है तो आप सबसे पहले किसी डायरी वगैरह मे नोट कर ले की मेरी इतने साल की नमाज़ क़ज़ा है सही तादाद तो किसी को मालूम नहीं होती बस आप अनदाज़े से लिख ले मगर नमाज़ की तादाद कम नहीं होनी चाहिए । Qaza namaz ka tarika सबसे आसान ये है के आप एक दिन मे अपनी एक दिन की क़ज़ा नमाज़ तो जरूर अदा करे । इससे आपको क़ज़ा नमाज़ अदा करने मे आसानी हो जाएगी ।

क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ की फ़जर की नियत :

नियत करता हु / करती हु मै दो रकात नमाज़ फर्ज जितनी मेरी फ़जर की नमाज़े क़ज़ा हुई है उन्मे सबसे पहली नमाज़ की , वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर ।

Zohar ki Qaza Namaz ka Tarika

अगर आप एक दिन की पढ़ रहे है या 2-3 दिन की क़ज़ा नमाज़ पढ़ रहे है । तो आप इस तरह नियत करे , नियत करता हु / करती हु मै 4 रकात नमाज़ फर्ज क़ज़ा जोहर के (यहां पर आप दिन का नाम भी ले सकते है) वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर ।

और अगर आप qaza e umri namaz पढ़ रहे है तो बिल्कुल वैसे ही नियत करे जैसे हमने फ़जर की क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ की नियत बताई है सिर्फ आपको रकात मे 2 की जगह 4 और फ़जर की जगह पर जोहर का नाम लेना है । इस तरह आपकी एक दिन की zohar ki qaza namaz अदा हो जाएगी । जब अगले दिन की नमाज़ पढ़ेंगे तो आप दोबारा से यही नियत करेंगे यानि जोहर की पहली क़ज़ा नमाज़ पढ़ रहा / रही हु ।

Asar ki Qaza Namaz ka Tarika

asar ki qaza namaz ka tarika ये है के आप इसी तरह नियत करे जिस तरह हमने आपको ऊपर बताई है सिर्फ फ़र्क यही के आप रकात और वक़्त का ध्यान रखे और इसी तरह नियत कर ले । जब भी आप क़ज़ा ऐ उमरी नमाज़ की नियत करे तो यही कहना के जितनी मेरी नमाज़े क़ज़ा हुई है उन्मे सबसे पहली नमाज़ अदा करता हु । क्यूंकि जो क़ज़ा हमने अदा कर दी है उसके बाद तो दूसरी वाली पहले नम० पर अपने आप आ जाएगी ।

Maghrib ki Qaza Namaz ka Tarika

जिस तरह हमने आपको और नमाजों की नियत बताई है उसी तरह मग़रिब की नमाज़ की नैयत होगी । मग़रिब मे 3 फर्ज पढे जाते है । आप चाहे इन्हे नमाज़ से पहले अदा करे चाहे बाद मे इसमे कोई हर्ज नहीं है । इसी तरह आप कोई भी नमाज़ किसी भी वक़्त मे अदा कर सकते है अगर आपकी 5 नमाजो से ज्यादा नमाज़े क़ज़ा है ।

Isha ki Qaza Namaz ka Tarika

नाज़रीन जिस तरह और नमाजों की नियत की है उसी तरह ईशा की नमाज़ की नियत करनी है इसके अलावा इसमे फर्ज के साथ वित्र भी पढे जाते है । वित्र की नियत आप कुछ इस तरह कर सकते है । नियत करता / करती हु मै 3 रकात नमाज़ वित्र वाजिब जितनी मेरी ईशा की नमाज़ क़ज़ा हुई है उन्मे सबसे पहली नमाज़ की वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर ।

Qaza Namaz ka Time

दोस्तों ये बहुत अहम सवाल है हमारे बहुत से भाइयों और बहनों को qaza namaz ka time पता नहीं होता है । हम् आपको बता दे क़ज़ा नमाज़ 3 मकरूह वक़्त के अलावा किसी भी वक़्त पढ़ी जा सकती है । वो तीन मकरूह वक़्त ये है ;

  • तुलु आफताब ( सूरज निकलते वक़्त) या सूरज निकलने के लगभग 20 मिन तक कोई नमाज़ नहीं पढ़ी जाती । इसके बाद आप कोई भी क़ज़ा या नफ़िल नमाज़ पढ़ सकते है ।
  • ग़ुरूब आफताब (सूरज डूबते वक़्त) या असर के बाद से मग़रिब तक असर से पहले कोई qaza नमाज़ पढ़ सकते है ।
  • जवाल के वक़्त यानि जब सूरज बिल्कुल बीच मे हो ।

इसके अलावा आप किसी भी टाइम और कोई सी भी क़ज़ा नमाज़ पढ़ सकते है । इसकी पाबंदी नहीं है सिर्फ आपको इन तीन मकरूह औकात मे कोई भी नमाज़ नहीं पढ़नी है ।

क्या क़ज़ा नमाज़ मुखतसर पढ़ सकते है?

दोस्तों अक्सर ऐसा होता है के हमारी बहुत सारी नमाज़े या फिर कई साल की नमाज़े क़ज़ा हो जाती है और हम उन्हे अदा भी करना चाहते है । लेकिन बहुत बार ऐसा होता है के हमारे पास टाइम की कमी हो जाती है । तो आप उस टाइम अपनी क़ज़ा नमाज़ को मुखतसर करके पढ़ सकते है यानि उस नमाज़ मे कुछ कमी करके पढ़ सकते है ।

तो आपकी क़ज़ा नमाज़ अदा हो जाए गई । यहां हम आपको बता देते है के हम अपनी क़ज़ा नमाज़ मे क्या कमी कर सकते है । ये सब बाते हदीस और फुकहा और उलमा से साबित है ।

अगर आप क़ज़ा ऐ उमरी पढ़ रहे है तो आप सना , आउजू और bismillah को छोड़कर सिर्फ surah fatiha और इसके साथ कोई सूरत पढ़ सकते है । रुकु मे जाने के बाद 3 मर्तबा की जगह 1 मर्तबा भी सुबहाना रबबीयल अज़ीम और सजदे मे भी 3 मर्तबा की जगह 1 मर्तबा उसकी तसबीह पढ़ सकते है ।

अगर आप 4 रकात वाली क़ज़ा नमाज़ पढ़ रहे है तो उसमे तीसरी-चौथी रकात मे surah fatiha की जगह पर 3 मर्तबा subhanallah भी पढ़ सकते है और अत्ताहीययात के बाद durood sharif और दुआ मे भी कमी कर सकते है ।

इसके अलावा अगर आप वित्र की क़ज़ा पढ़ रहे है तो आप तीनों रकात पढे और dua e qunoot की जगह पर 3 मर्तबा रब्बिग़ फिरली भी पढ़ सकते है । नाज़रीन ये तरीका आप तब ही इस्तेमाल कर सकते है जब आपकी कई साल की नमाज़े क़ज़ा है । लेकिन अफजल तरीका तो वही जो हमारी अदा नमाज़ का होता है ।

ये आपका Qaza namaz ka tarika मुकम्मल हुआ अगर आपको कोई डाउट है तो आप हमसे राबता कर सकते है ।

नाज़रीन ये तो Qaza namaz ka tarika हमने आपको बता दिया है इसके अलावा आपकी जानकारी मे थोड़ा स इजाफा करने के लिए हम आपको नमाज़ छोड़ने की सजा के बारे मे बता देते है । जिसे जानने के बाद इनशाल्लाह आप कभी नमाज़ नहीं छोड़ेंगे ।

हदीस शरीफ मे जिस तरह नमाज़ की फ़ज़ीलत बयान की गई है उसी तरह इसके छोड़ने पर 15 किस्म के अज़ाब भी बता दिए गए है । वो 15 अज़ाब यहां हम आपको जिक्र कर देते है । 5 तरह से दुनिया मे और 3 तरह से मौत के वक़्त और 3 तरह कब्र मे और 3 तरह कब्र से निकलने  के बाद । दुनिया के 5 ये है :

  •  जो नमाज़ मे सुस्ती करता है उसकी ज़िंदगी से बरकत खतम हो जाती है ।
  • उसके चेहरे से नूर खतम हो जाता है ।
  • उसके नेक कामों का उजर हटा दिया जाता है ।
  • उसकी कोई भी दुआ कुबूल नहीं होती ।
  • नेक बंदों की दुआ मे उसका हक़ नहीं रहता ।

मौत के वक़्त 3 अज़ाब :

  • जिल्लत से मरता है ।
  • भूका मरता है ।
  • मौत के वक़्त उसे प्यास की बहुत शिद्दत होती है ।

कब्र मे 3 अज़ाब :

  • जो नमाज़ मे सुस्ती करता है तो कब्र उस पर इतनी तंग हो जाती है के पसलिया एक दूसरे मे घुस जाती है ।
  • कब्र मे आग जला दी जाती है ।
  • एक सांप उस पर मुसल्लत कर दिया जाता है । जिसकी आंखे आग की और नाखून लोहे के इतने लंबे के अगर पूरा दिन चले तब भी न पहुंचे और वो मययत को जखमी करता है और नमाज़ न पढ़ने की वजह से अल्लाह उस शख्स पर गंजे सांप को मुसल्लत करता है ।

कब्र से निकलने के 3 अज़ाब :

  • उसका हिसाब बहुत सख्ती से लिया जाएगा ।
  • अल्लाह ताला उस शख्स से बहुत नाराज होंगे ।
  • जहन्नुम मे दाखिल कर दिया जाएगा ।

लेकिन ये कुल 14 अज़ाब हुए है 15 वा अज़ाब ये है के एक रिवायत मे है के उसके चेहरे पर तीन सतरे लिखी होती है (1) सतर अल्लाह के हक को ज़ाया करने वाले , (2) सतर अल्लाह के गुस्से के साथ मखसूस (3) सतर जिस तरह तूने दुनिया मे अल्लाह के हक को (नमाज़) ज़ाया किया आज तू अल्लाह की रहमत से मायूस रहेगा ।                                                                                                                                                                                                         (फजाइल ऐ आमाल हिस्सा 1)

इस तरह आप को पता चल गया होगा की नमाज़ छोड़ने के कितने बड़े-बड़े अज़ाब है । मगर अफसोस के लोग फिर भी नहीं डरते और नमाज़ छोड़ देते है । उम्मीद है के इस नसीहत से बे नमाज़ियों को कुछ समझ आए । अल्लाह तमाम उम्मत ऐ मुसलिमा को नमाज़ पढ़ने की तौफीक अता फरमाए ।

आज आपने क्या सीखा

दोस्तों आज आपने Qaza Namaz ka Tarika और इसके छोड़ने पर जो अज़ाब है इन सबके बारे मे जाना है। उम्मीद है के आप इस पोस्ट को पढ़ने के बाद कभी नमाज़ नहीं छोड़ेंगे । अगर हमारी ये जानकारी आपको अच्छी लगे तो इस पैगाम को दूसरों तक पहुंचाए ताकि दूसरों को भी नमाज़ की अहमियत का पट चल सके और आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala मे बने रहे। अस्सलामु अलैकुम

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