Best 25 Quran ki hadees – कुरान की हदीश और फ़ज़ीलत ।

अस्सलामु अलैकुम मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपको Quran ki hadees के बारे मे बताने वाले है । अल्लाह ने कुरान मे अपने बंदों से क्या फरमाया है और hadees kya hai और इसके अलावा भी बहुत कुछ जानेंगे। इसलिए आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala मे बने रहे ।

दोस्तों कुरान मजीद ऐसी किताब है जो हमे सीधा रास्ता दिखाती है और हमे ज़िंदगी गुज़ारने का तरीका बताती है । अगर हमने कुरान और इसकी हिदायत को समझ लिया तो हम दुनिया और आखिरत दोनों मे कामयाब है ।

हर शख्स की तमन्ना यही है के हम दोनों जहां मे कामयाब हो जाए और ये कामयाबी हमे कुरान और नबी के बताए हुए तरीके पर चलकर ही मिल सकती है । तो आज हम आपको quran aur hadees ki baatein बताएंगे । जिन्हे जानकर इनशाल्लाह आपको बहुत फायदा हासिल होगा ।

मेरे प्यारे दोस्तों पोस्ट को आखिर तक लाज़मी देखे । क्यूंकि इसके अलावा भी हम आपको बहुत कुछ बताएंगे ।

Quran ki hadees

कुरान पाक मे अल्लाह तआला ने हर मुसलमान को नेक काम करने और बुरे काम से बचने की नसीहत फरमाई है ताकि वो एक खूबसूरत ज़िंदगी गुजार सके । जो भी इसे पढ़ता है और इस पर अमल करता है तो उस पर अल्लाह की रहमते और बरकते नाज़िल होती है और हर परेशानी और मुसीबत से निजात पा लेता है ।

यहां हम आपको चंद Quran ki hadees बताने जा रहे है ।

(1)

गैर मुस्लिमों के साथ अच्छा सुलूक करने वालों को अल्लाह पसंद करता है , क्यूंकि अल्लाह इंसाफ करने वालों का दोस्त है ।                                                                                                  (सूरत-60)

(2)

नमाज़ से अपने काम को अंजाम दो ।                                                                                                                                                                                                                                                                       (सूरत – 42)

(3) Quran ki hadees

जो अल्लाह पर यकीन रखता है , अल्लाह उनकी हिफाजत करता है ।                                                                                    (सूरत-24)

(4)

जमीन पर आराम और सुकून से चलो ।                                                                                                                           (सूरत-25 )

(5)

अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारो ।                                                                                                                                  (सूरत-28)

(6)

अच्छे कामों कि नसीहत और बुरे कामों से लोगों को रोका करो ।                                                                                                                 (सूरत-31)

(7)

अल्लाह की रहमत से मायूस न हो ।                                                                                                                                            (सूरत-39)

(8)

अल्लाह तमाम गुनाहों को मुआफ़ कर देगा सिर्फ शिर्क की बख्शीश नहीं होगी ।                                                                                     (सूरत-39)

(9) Quran ki hadees

बुराई को भलाई से मिटा दो ।                                                              (सूरत-41)

(10)

तुममे से सबसे ज्यादा इज्जत वाला इंसान वो है जिसने सच्चाई और भलाई को इख्तियार किया होगा ।                                                              (सूरत-49)

(11)

अल्लाह से मआफ़ी मांगों क्यूंकि अल्लाह बहुत मआफ़ करने वाला और रहम करने वाला है ।                                               (सूरत-73)

(12)

जो तुममे से मदद और हिफाजत और पनाह (माफी)  के तलबगार (चाहते) हो , तो तुम उनकी मदद और हिफाजत करो और मुआफ़ कर दो ।                                         (सूरत-9)

(13)

पाक साफ रहा करो ।                                                                          (सूरत-9)

(14)

कोई किसी दूसरे के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा ।                            (सूरत-7)

(15)

वालिदैन की बेअदबी करने से बचो और उन्हे उफ़ तक न कहो ।           (सूरत-17)

(16)

दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ ।                                                                 (सूरत-49)

(17)

वालिदैन की इज्जत और फर्माबरदारी किया करो ।                            (सूरत-17)

(18) Quran ki hadees

लोगों से नरमी से बात किया करो ।                                                       (सूरत-20)

(19)

दूसरों की गलतियों को मआफ़ कर दो ।                                                (सूरत-7)

(20)

गुस्से को पी जाओ ।                                                                               (सूरत-2)

(21)

हर शख्स के मरने के बाद उसकी दौलत उसके रिश्तेदारों मे बाट दो ।                    (सूरत-4)

(22)

लोगों के बीच इंसाफ का फैसला करो ।                       (सूरत-4)

(23)

आपस मे भरोसा क़ायम रखो ।                (सूरत-2)

(24)

सूद (ब्याज) मत खाओ या मत लो ।                     (सूरत-2)

(25)

यतीमों का माल नाहक़ मत खाओ ।                   (सूरत-4)

दोस्तों इसके अलावा भी बहुत सारी Quran ki hadees है जिनसे हमारी ज़िंदगी बदल सकती है और कामयाबी मिल सकती है । आप कुरान की तिलावत और इसके तर्जुमे को पढे ताकि आपको कुरान की हकीकत मालूम हो जाए ।

hadees kya hai

मेरे प्यारे दोस्तों अक्सर हम लोग छोटी-बड़ी हदीस सुनते है । लेकिन आज तक बहुत से लोगों को हदीस का सही मतलब मालूम नहीं है या हदीस किसे कहते है ये नहीं जानते है । दोस्तों आज हम आपको हदीस के बारे मे भी बताएंगे ।

हमारे प्यारे नबी रसूल अल्लाह सल्ल ० अपने साथियों (सहाबा) को अक्सर बहुत सी बाते बताया करते थे और सहाबा उन बातों को याद कर लिया करते और लिख लिया करते थे , और जब धीरे-धीरे सहाबा दुनिया से रुखसत हो गए तो मुसलमानों ने इन बातों को ईकट्ठा करना शुरू कर दिया और उसे किताब की शक्ल दे दी । जिन्हे आज हम हदीस के नाम से जानते है ।

दोस्तों हमारे मजहब की सबसे बड़ी हदीस (सहीह बुखारी) है । इसके अलावा भी बहुत सारी हदीसे है , यहां हम आपको 10 hadith book के नाम बता रहे है ।

  • सहीह मुस्लिम
  • इब्ने कसीर
  • कौसर यज़दानी
  • अल तनकीह
  • फ़ैज़ अल बारी
  • जामी अल तिरमिज़ी
  • सुनन इब्न मजाह
  • सुनन अबु दाऊद
  • सुनन अल सुग़रा
  • अनवार उल बारी

दोस्तों इसके अलावा भी बहुत सारी हदीस है जो बहुत सारे महान लोगों ने लिखी है । अब हम आपको हुज़ूर सल्ल ० की कुछ Quran ki hadees और छोटी हदीस बताने जा रहे है । अगर आप इन्हे जान ले और इन पर अमल कर ले तो इनशाल्लाह आप आखिरत और दुनिया दोनों मे कामयाब हो जाएंगे । आप अल्लाह के नेक बंदों मे शामिल हो जाएंगे क्यूंकि आप नबी की बताई हुई बात पर अमल कर रहे है और अल्लाह ने खुद फरमाया है के जो मुझसे और मेरे नबी से मुहब्बत करेगा तो मै उससे मुहब्बत करूंगा ।

जिससे अल्लाह ने मुहब्बत कर ली तो उसकी तमाम मुशकिले आसान हो जाएंगी और दुनिया मे भी फायदे होंगे और आखिरत तो खैर उसकी बन ही जाएगी । तो आइए जानते है वो हदीस जिससे हमे बहुत-बहुत फायदा होने वाला है ।

ये भी पढे; Quran ki fazilat | quran ki fazilat hadees ki roshni me in 2022

इनमे कुछ Quran ki hadees है और कुछ और हदीसो से ली गई है और ये तमाम हदीस हमारे प्यारे नबी ने इरशाद फरमाई है ।

  • दुआ ही इबादत है । (Quran ki hadees)
  • हुज़ूर ने फरमाया के गुस्सा न करो ।
  • एक दूसरे से हसद ना करो ।
  • हया ईमान का एक हिस्सा है ।
  • अमालो की कुबूलियत का दारोंमदार नीयतों पर है ।
  • नेकी हुस्न ऐ अखलाक़ का नाम है अच्छा हुस्न नेक काम करने को कहते है ।
  • जन्नत की कूँजी (चाबी) नमाज़ है ।
  • हर नेकी सदक़ा है यानि अच्छे काम करना भी सदक़ा है । .
  • जो हमे धोका देता है उसका हमसे कोई तालुक़ नहीं ।
  • अच्छे काम की सिफारिश करो तुम्हें इसका बदला मिलेगा ।
  • आदमी क़यामत के दिन उसी के साथ होगा जिससे उसने दुनिया मे मुहब्बत की होगी ।
  • मजलूम की बददुआ से बचो ।
  • तुम जहां हो जिस जगह भी हो अल्लाह तआला से डरो । (Quran ki hadees)
  • लोगों के साथ हुस्न ऐ सुलूक से पेश आओ ।
  • तुममे से कोई शख्स बाये (उलटे) हाथ से ना खाए ।
  • बे-शक अल्लाह तआला नरमी करने वाला है और नरमी को पसंद फरमाता है । (Quran ki hadees)
  • जहन्नुम की आग से बचो , ख्वाह खजूर के एक टुकड़े को सदक़ा और खैरात करके बच सको ।
  • तुम इसी तरीके से नमाज़ पढ़ा करो जैसे मुझे नमाज़ पढ़ते देखते हो ।
  • रिश्तेदारों के साथ हुस्न ऐ सुलूक (अच्छे से पेश आना) उमर मे अजाफ़े का बाइस बंता है ।
  • जिस शख्स के पास मेरा नाम जिक्र किया जाए , वो मुझ पर दुरूद भेजे ।  (Quran ki hadees)

दोस्तों इसके अलावा भी हमारे प्यारे नबी की बहुत सारी हदीस है, जो नेक बंदे बनने और कामयाबी का जरिया बन सकती है । लेकिन जब इन बातों पर अमल किया जाएगा तब ही ये हो सकता है ।

आज आपने क्या सीखा । 

आज आपने Quran ki hadees के बारे मे जाना है । दोस्तों हमने आपको जितनी भी कुरान की हदीस बताई है ये सब कुरान की सूरतों से ली गई है । अगर इनमे कोई गलती हो तो आप बराइ महरबानी माफ कर दे । दोस्तों आज आपने hadees kya hai इसके बारे मे सीखा है और quran aur hadees ki baatein भी जानी है । अगर आप इन पर अमल करते रहे और सुन्नत तरीका अपनी ज़िंदगी मे ले आए तो आप बहुत फायदा हासिल करने वाले है ।

अगर हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करना न भूले , अस्सलामु अलैकुम ।

 

 

 

 

 

 

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