मेरे प्यारे भाइयों और बहनों क्या आप Ramzan Ke Roze Ki Fazilat या इसकी अहमियत को जानते है । क्या आपको रमज़ान का एक रोज़ा रखने की फ़ज़ीलत मालूम है और इस मुबारक महीने मे किन लोगों की बख्शीश नहीं होती । अगर आप भी इन सब बातों को जानना चाहते है तो आइए आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala जहां आपको Ramzan Ke Roze Ki Fazilat के साथ-साथ और भी बहुत कुछ जानने को मिलेगा ।
दोस्तों रमज़ान का महीना सारे महीनों का सरदार है और इस महीने की इबादत का सवाब अल्लाह तआला और महीनों की इबादत से बहुत ज्यादा अता करते है । दोस्तों Ramzan Ke Roza हमे अल्लाह का कुर्ब अता करता है यानि हमे अल्लाह से करीब करते है । हर अमल का बदला जन्नत है और रोज़े का बदला अल्लाह खुद है । जो भी अल्लाह का बंदा पूरे खुलऊस के साथ रोज़े रखता है तो क़यामत के रोज अल्लाह खुद उसे रोज़े का इनाम अता फरमाएंगे ।
Ramzan Ke Roze Ki Fazilat
अल्लाह तआला को तीन चीज़े सबसे ज्यादा पसंद है , (जवानी की नमाज़ , सख्त गर्मी के रोज़े और सर्दी का वुजु) । आज हम गर्मी के रोज़ों से डरते है के कमजोरी आ जाएगी या बीमार हो जाएंगे या फिर हमारी सेहत खराब हो जाएगी । हम कितने बुज़दिल है अल्लाह की इबादत से डरते है । जबकि ये महीना तो अल्लाह ने हमे आग से बचाने और अपनी रहमते अपने बंदों पर बरसाने के लिए बनाया है ।
दोस्तों रमज़ान तो एक इबादत है । जब माज बिन जबल का इंतेकाल का हुआ तो आप कहने लगे के ऐ अल्लाह तू जानता है के मुझे अपनी ज़िंदगी से कितना प्यार था । अल्लाह की क़सम वो प्यार पैसों के लिए नहीं था , दुनिया के लिए नहीं था । बल्कि मुझे तो अपनी ज़िंदगी से प्यार था तेरी बारगाह मे लंबे-लंबे सजदे करने के लिए मुझे प्यार था सख्त गर्मी के रोज़े मे प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त करने के लिए । ये है Ramzan Ke Roze Ki Fazilat की उन्हे रमज़ान से कितना प्यार था ।
ऐ अल्लाह तू हर मुसलमान के दिल मे Ramzan Ke Roze Ki Fazilat और इसकी अहमियत जगा दे । रमज़ान तो दीन का सुतून है , हमने आपको पहले भी बताया है के इस्लाम की बुनियाद 5 चीजों पर है । जिसमे रमज़ान भी शामिल है , हमारे प्यारे हबीब रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के अगर अल्लाह अपने रोजेदार बंदों को उनके रोज़े का बदला बता देते तो वो पूरी साल के रोज़े ना छोड़ते । ये है Ramzan Ke Roze Ki Fazilat यानि रोज़े की फ़ज़ीलत इतनी बड़ी है के अगर अल्लाह अपने बंदों को बता दे की रमज़ान का बदला क्या है तो वो पूरी साल के रोज़े रखते ।
एक छोटा स वाक़िया है यमामा की जंग मे 12 हजार सहाबा और भी बहुत सारे मोमिन बंदे थे । ये जंग बहुत ही खौफनाक थी जिसमे 3 हजार शहीद हुए । जब झण्डा जैद बिन खिताब से शहीद होकर गिर गया तो फिर झण्डा हज़रत सालिम रजि ० ने उठा लिया और जब वो बहुत जखमी हो गए तो आपकी सांस अभी बाकी थी और आपका रोज़ा था तो एक सहाबी जख्मियों को पानी पीला रहे थे तो जब वे सालिम रजि ० के पास पहुंचे तो आप सालिम रजि ० को दिलासा देते हुए कहने लगे के हमने फतह पाई है पानी पिए ।subhanallah
आपका जवाब था ये मेरी ढाल है अगर मै जिंदा रहा तो इफ्तार कर लूँगा और अगर मर गया तो मै अल्लाह के दस्तरख्वान पर जाकर अफ़तार कर लूँगा । ये है Ramzan Ke Roze Ki Fazilat के उन सहाबी ने मरते वक़्त भी जबके उस वक़्त प्यास की शिद्दत बहुत होती है रमजान नहीं तोड़ा । अल्लाहु अकबर , ऐ अल्लाह हमे भी ऐसा ईमानी जज़्बा और हौसला अता फरमा ।
Ramzan Kya Hai
नाज़रीन क्या आपने कभी इस बात पर गौर फरमाया है के रमज़ान क्या है या इसका मतलब क्या है , दोस्तों रमजान का मतलब है जो एक तरफ तो रोज़ा इंसान के बदन को जलाता है और दूसरी तरफ उसके तमाम पिछले गुनाहों को जलाकर राख कर देता है और जब रमज़ान की आखिरी रात आती है तो वो इंसान गुनाहों से ऐसे पाक हो जाता है। जैसे आज ही मा के पेट से पैदा हुआ हो । subhanallah
नाज़रीन हम लोगो को चाहिए की Ramzan ki Dua को कसरत से पढ़े क्युकी जितना ज्यादा पढेंगे उतना ज्यादा सवाब मिलेगा।
Ramzan Me Kin Logon Ki Bakhshish Nahi Hoti
दोस्तों रमज़ान के महीने मे अल्लाह तआला सिर्फ 4 लोगों को छोड़कर तमाम मुसलमानों को बख्श देते है और अगर वो अपने गुनाहों से सच्ची तौबा कर ले तो अल्लाह तआला अपने करम से उन्हे भी बख्श देते है । वो 4 आदमी या औरत कौन है ?
- माँ-बाप की नाफरमानी करने वाला या उनके साथ बहुत बुरा सुलूक करने वाला ।
- शराब पीने वाला ।
- रिश्तेदारों के साथ बुरा सुलूक करने वाला या रिश्ते तोड़ने वाला या रिश्तों को आग लगाने वाला ।
- कीना रखने वाला । (कीना का मतलब किसी से नफरत करना और उसे नुकसान पहुँचाना) और (बुगज़ का मतलब है किसी से नफरत करना) ।
अल्लाह हमे और आपको इन बुरे कामों से बचाए । और आने वाले रमजान मे हर मुसलमान की मग़फिरत फरमाए । ये भी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat है के अल्लाह सिर्फ 4 लोगों को छोड़कर तमाम को इस मुबारक महीने की बरकत से बख्श देते है ।
Ramzan Ke 1 Roze Ki Fazilat
मेरे प्यारे दोस्तों रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के माहे रमज़ान को सारे महीनों पर ऐसी फ़ज़ीलत हासिल है जैसे मुझ मोहम्मद को तमाम मखलूक़ पर फ़ज़ीलत हासिल है। रसूल अल्लाह साल ० फरमाते है के रमज़ान के महीने मे अगर तुम एक नेकी करते हो तो अल्लाह तुम्हें 70 का सवाब अता करता है । जब तुम्हारा खुलूस बढ़ जाता है तो अल्लाह तुम्हें एक नेकी का 1000 अता करता है और जब तुम्हारा इखलास बढ़ता है तो अल्लाह तुम्हें एक नेकी का बेहिसाब सवाब अता करता है , जिसका कोई हिसाब नहीं । ये है Ramzan Ke 1 Roze Ki Fazilat ।
रसूल अल्लाह सल्ल ० Ramzan Ke Roze Ki Fazilat और अहमियत को बयान करते हुए ये फरमाते है के , अगर कोई बंदा माहे रमज़ान का एक रोज़ा छोड़ दे और सारी ज़िंदगी उसके बदले मे रोज़ा रखे तो वो सारी ज़िंदगी के रोज़े बराबर भी Ramzan Ke 1 Roze Ki Fazilat हासिल नहीं कर सकता है । तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते है के अल्लाह ने रमज़ान हमारे लिए कितना बड़ा मग़फिरत और रहमत का महीना बनाया है ।
Ramzan Ke Roze Ki Fazilat Hadees Ki Roshni Mein
दोस्तों वैसे तो Ramzan Ke Roze Ki Fazilat हदीस मे बहुत ही ज्यादा तादाद मे है लेकिन यहां हम आपको चंद Ramzan Ke Roze Ki Fazilat हदीस की रोशनी मे बताने जा रहे है । जिन्हे जानकर आप भी ये पुख्ता इरादा करेंगे के हम भी इस बार रमज़ान के पूरे रोज़े रखेंगे , इनशाल्लाह ।
(1)रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के क़यामत के दिन रोज़ा और कुरान सिफारिश करेंगे । रोज़ा अल्लाह से कहेगा कि ऐ अल्लाह इस बंदे ने मेरी खातिर भूक और प्यास की शिद्दत को बर्दाश्त किया और नफ़सानी ख्वाहिशों से बचा रहा तो आप मेरी सिफारिश इसके हक मे कुबूल फरमाइए । रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के इसकी सिफारिश कुबूल की जाती है ।
इसी तरह कुरान भी रोज़े क़यामत उसके पढ़ने वाले की सिफारिश करेगा और अल्लाह से कहेगा कि ऐ अल्लाह इस बंदे ने रात मे क़याम फरमाया और मेरी सूरतों को पढ़ा लिहाज़ा मेरी सिफारिश इसके हक मे कुबूल फरमा , तो अल्लाह तआला कुरान की सिफारिश को कुबूल फरमाते है और उस शख्स को बख्श देते है । Ramzan Ke Roze Ki Fazilat (मुसनद अहमद और तबरानी)
(2) हज़रत अबु हुरैरा से रिवायत है के रसूल सल्ल ० से अल्लाह फरमाते है कि इबने आदम का हर अमल उसके लिए है सिवाये रोज़े के यानि आदम अलै ० की औलाद का हर अमल उसकी अपनी जात से है और रोज़ा खास मेरे लिए है तो और इसका अजर मै दूंगा ।
फिर आगे रसूल अल्लाह सल्ल ० ने फरमाया रोज़ा आग से ढाल है यानि रोज़ा जहन्नुम की आग से बचाएगा और जिस दिन तुम रोज़े से रहो तो बुरी बातों , बुरे कामों से और लड़ाई झगड़े से बचो अगर तुम जहन्नुम की आग से बचना चाहते हो । ये भी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat कितनी बड़ी है के क़यामत के रोज अल्लाह तआला रोजेदारों को खुद उसका बदला देंगे और दौजख की आग से बचाएंगे । (मुस्लिम)
(3) रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के रोजेदार के मुँह की हवा अल्लाह तआला को क़यामत के दिन मुश्क की खुशबू से भी ज्यादा महबूब होगी । रोजेदार के लिए दो खुशियां है , पहली जब वो इफ्तार करता है और दूसरी तब मिलेगी जब वो अल्लाह से मिलेगा । यानि क़यामत के रोज अल्लाह उसे ऐसा इनाम अता फरमाएंगे जिसे पाने के बाद वो शख्स बहुत खुश होगा । अल्लाह तआला ने रोजेदारों का बदला छिपाकर रखा है यानि ये नबी को भी नहीं बताया के रोजेदार का बदला क्या होगा । लेकिन उस शख्स के लिए बहुत ही खास होगा और वो बहुत ही खुश होगा । Ramzan Ke Roze Ki Fazilat (मुस्लिम शरीफ)
(4) रोजेदार की एक खास फ़ज़ीलत है ये है के अल्लाह ने जन्नत के 7 दरवाजे और 8 वा दरवाजा खास रोजेदारों के लिए बनाया है जिसमे से सिर्फ रोजेदार ही दाखिल होंगे । जिसका नाम रेयान है । जब रोजेदार इस दरवाजे से गुजरेंगे तो फ़रिश्ते उनका इस्तकबाल करेंगे और अल्लाह ने बहुत बड़ी अहमियत रखी है रोज़ा रखने वालों की जिसका अजर भी बहुत बड़ा होगा जो रोज़े क़यामत दिया जाएगा । ये भी बहुत बड़ी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat है जो सिर्फ रोजेदारों को नसीब होगी । (मुस्लिम)
(5) मुस्लिम की रिवायत है के Ramzan Ke Roze Ki Fazilat और इसकी इबादत की फ़ज़ीलत इतनी बड़ी है के अल्लाह तआला हर रात लोगों को जहन्नुम से आजाद करता है । रसूल अल्लाह सल्ल ० फरमाते है के हर रोज इफ्तार के वक़्त अल्लाह तआला जहन्नुम से खुलासी और निजात देता है । ये रिवायत इबने माजह की है ।
(6) रसूल अल्लाह सल्ल ० के पास एक शख्स आया और कहने लगा के ऐ अल्लाह के रसूल अगर मै गवाही दु और ये कहू के अल्लाह के सिवा कोई मआबूद नहीं और नमाज़ पढू और रोज़ा रखु तो मेरा हिसाब किन लोगों के साथ होगा , तो आपने फरमाया कि अगर तूने ये तीनों काम कर लिए तो क़यामत के दिन तेरा हिसाब शुहदा और सालेहीन के साथ होगा । subhanallah ये भी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat कितनी बड़ी है के अल्लाह रोज़ा रखने वालों का हिसाब शहीदों और नेक लोगों के साथ फरमाएगा । (इबने हिबान)
(7) हज़रत उबादा कहते है के एक मर्तबा रसूल अल्लाह सल्ल ० रमजानुल मुबारक के करीब इरशाद फरमाया के रमज़ान का महीना आ गया है । जो बड़ी बरकत वाला है हक तआला शाना-हू इसमे तुम्हारी तरफ मुतवज्जह होते है और अपनी रहमत नाज़िल फरमाते है । खताओ को माफ फरमाते है दुआ को कुबूल करते है । तुम्हारे तनफफुस को देखते है और मलाइका (फ़रिश्ते) से फख्र करते है । पस अल्लाह को अपनी नेकी दिखलाओ । बदनसीब है वो शख्स जो इस महीने मे भी अल्लाह की रहमत से महरूम रहे । (फजाइल ऐ रमज़ान)
(8)
अबु हुरैराह रजि ० ने हुज़ूर अकरम सल्ल ० से नकल किया है के मेरी उम्मत को रमज़ान शरीफ के बारे मे 5 चीज़े मखसूस तौर पर दी गई है जो पहली उम्मतों को नहीं मिली है ।
- इनके मुँह की बदबू अल्लाह के नजदीक मुश्क से ज्यादा महबूब है ।
- इनके लिए दरिया की मछलिया तक दुआ करती है और इफ्तार के वक़्त तक करती रहती है ।
- जन्नत हर रोज उनके लिए आरास्ता (सजाई) की जाती है फिर अल्लाह तआला शानाहू फरमाते है के करीब है के मेरे नेक बंदे दुनिया की मुशककते अपने ऊपर से फ़ैककर तेरी तरफ आवे ।
- इस महीने मे सरकश शयातीन कैद कर दिए जाते है के वो रमज़ान मे उन बुराइयों की तरफ नहीं पहुँच सकते जिन की तरफ गैर रमज़ान मे पहुँच सकते है ।
- रमज़ान की आखिरी रात मे रोजेदारों के लिए मग़फिरत की जाती है , सहाबा रजि ० ने अर्ज किया के ये शब मग़फिरत शब ऐ कदर है । हुज़ूर ने फरमाया नहीं बल्कि दस्तूर ये है के मजदूर को काम खतम होने के वक़्त उसकी मजदूरी दे दी जाती है । यानि रमज़ान के महीने के रोज़े रखने का बदलादे दिया जाता है । दोस्तों ये भी कितनी बड़ी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat है के अल्लाह रोजेदारों को 5 इनाम अता करते है ।
(9) हुज़ूर करीम सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के हक तआला शानाहू और इसके फ़रिश्ते सहरी खाने वालों पर रहमत नाज़िल फरमाते है । ये भी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat है जो रमज़ान मे अता होती है । (फजाइल ऐ रमज़ान)
(10) अबु हुरैराह रजि ० से रिवायत है के रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के जब रमज़ान का महीनाआता है तो जन्नत के दरवाजे खुल जाते है । दौजख के दरवाजे बंद हो जाते है और शैतान जकड़े जाते है । ये भी Ramzan Ke Roze Ki Fazilat है के अल्लाह अपनी रहमतों के दरवाजों को खोल देता है ताकि हम जैसे लोग अपनी गुनाहों की मग़फिरत करवा सके । (बुखारी शरीफ)
दोस्तों ये है Ramzan Ke Roze Ki Fazilat जिन्हे जानकर हमे उम्मीद है के आप भी इस बार पूरे रमज़ान रखेंगे और इबादत भी कसरत से करेंगे ।
आज आपने क्या सीखा
आज आपने Ramzan Ke Roze Ki Fazilat और इसकी फ़ज़ीलत हदीस मे क्या है जाना है । उम्मीद करते है की आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लगी हो या आपके लिए जरूरी साबित हो । दोस्तों ये हमारी जरूरी इनफार्मेशन अपने दोस्तों और फॅमिली के साथ भी शेयर करे ताकि उन्हे भी रमज़ान के रोज़े की अहमियत और इसकी फ़ज़ीलत मालूम हो सके और रमज़ान बिना किसी वजह के न छोड़े , अससलामु अलैकुम ।