Sadqa Karne Ka Tarika | सदक़ा देने के 20 अज़ीम फायदे

अससलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम आपको Sadqa Karne Ka Tarika और सदक़े से जुड़े तमाम मसाइल के बारे मे बताएंगे । सदक़ा किसे कहते है और सदक़ा किसे देना चाहिए ।

जो हमारे भाई बहन Sadqa Karne Ka Tarika नहीं जानते वो इस पोस्ट को आखिर तक पढे , ताकि आपने जो सदक़ा दिया है वो कुबूल हो सके और आप सदक़ा देकर बहुत अज़ीम  फायदे हासिल कर सकते है । इसी के साथ तमाम मालूमात को जानने के लिए पोस्ट को आखिर तक लाज़मी पढे।

Sadqa Kise Kehte Hai?

सदक़ा एक ऐसी चीज है जिसको इंसान अपने माल से अल्लाह तआला की नजदीकी हासिल करने के लिए खर्च करता है यानि अल्लाह की राह मे सच्चाई के साथ ये ऐलान करता है के मै जन्नत का तलबगार हु , सदक़ा (सिद्क़) से बना है जिसका मतलब है सच्चाई ।

उलमा ने लिखा है के सदक़ा करने वाला एक ईमान वाला है यानि जो इंसान सदक़ा करता है वो इस बात की दलील पेश करता है के मै अल्लाह की राह मे सच्चाई के साथ सदक़ा देता हु ।

Sadqe Ki Iqsam

नाज़रीन सदक़ा जानने के बाद अब आप सदक़े की किस्मों को जानिए यानि सदक़ा कितने तरह का होता है । सदक़े की इक़साम 3 है : वो तीन इक़साम हम आपको पूरी तफ़सील के साथ बताने जा रहे है ।

  1.  फर्ज सदक़ा
  2. वाजिब या सुन्नत सदक़ा
  3.  नफ़िल सदक़ा

Farz Sadqa Kya Hai In Hindi

फर्ज सदक़ा उस सदक़े को कहते है जो ज़कात मे आता है जो की इस्लाम का तीसरा रुकन है । जकात का मतलब रमज़ान के महीने मे पुरे साल की कमाई की रकम का कुछ हिस्सा है ।

जकात अल्लाह की राह मे गरीब लोगों मे तकसीम की जाती है । ज़कात का सबसे पहला हक आपके पड़ोसी और रिश्तेदारों का है जो गरीब और मिसकीन हो ।

Wajib Sadqa Kya Hai In Hindi

वाजिब या सुन्नत सदक़ा वो सदक़ा है जो हम ईदुल फ़ित्र और ईदुल अदहा मे गरीब लोगों को तकसीम करते है ।

Nafil Sadqa Kya Hai In Hindi

नफ़िल सदक़ा फर्ज और सुन्नत को छोड़कर जो भी हम किसी गरीब , मिसकीन , पड़ोसी और रिश्तेदारों इसके अलावा मस्जिद , मदरसे और दीनी तालिम के लिए देते है वो नफ़िल सदक़ा है ।

रसूल अल्लाह सल्ल ० ने सदक़ा करने की ताकीद मर्दों से ज्यादा औरतों को फरमाई है । इसीलिए हमारी तमाम बहनों से गुजारिश है के आप रोजाना अपनी या अपने शोहर की कमाई का कुछ हिस्सा निकाले और किसी फकीर या मिसकीन को दे ।

ऐसा करने से इनशाल्लाह आपकी कमाई मे बरकत होगी और तमाम परेशानी दूर हो जाएंगी ।

Sadqa Karne Ka Tarika

Sadqa Karne Ka Tarika ये है के आप किसी जरूरत मंद की जरूरत को पूरा करे और उसे सदक़ा देते वक़्त ये महसूस ना होने दे की आप उस पर कोई अहसान कर रहे है । ये जरूरी नहीं है के सदक़ा पैसे या गोश्त वगैरह का ही दे आप किसी (मिसकीन फकीर) वगैरह को हसबे जरूरत चीज देकर भी सदक़े का सवाब ले सकते है ।

सबसे बेहतरीन सदक़ा वो है जो अपनी औलाद की अच्छी तर्बियत करता है और अपने मजबूर रिश्तेदारों की मदद करता है ये बात हमारे नबी ने इरशाद फरमाई है । अगर कोई जरूरत मंद हो उसकी जरूरत को पूरा करना भी बेहतरीन Sadqa Karne Ka Tarika है ।

आप जिसको भी सदक़ा दे तो अपने दिल मे ये इरादा रखे की मै अल्लाह की रज़ा के वास्ते इसकी जरूरत को पूरा कर रहा हु । ये नियत बिल्कुल ना रखे की मै इस पर अहसान कर रहा हु या ये मुझे इस अहसान के बदले कुछ दे ।

नाज़रीन हम ये बात सोचते है के सदक़ा सिर्फ मालदार लोगों पर फर्ज है या सिर्फ अमीर लोगों को ही सदक़ा देना चाहिए हाँ लेकिन ज़कात अमीर लोगों पर फर्ज है और सदक़ा खैरात कोई गरीब इंसान भी कर सकता है ।

(Sadqa Karne Ka Tarika) यहाँ कुछ तरीके हम आपको बता रहे है जिसे कोई गरीब भी दे सकता है । सदक़े के दो तरीके है एक माली सदक़ा और दूसरा जिस्मानी और अखलाकी सदक़ा ।

  • अगर किसी के पास माल और दौलत न हो तो जो मेहनत करके कमाया है उसे खुद पर और दूसरों पर खर्च करे ये Sadqa Karne Ka Tarika बेहतर है ।
  • अपने माल और जिस्म से किसी हाजतमंद की जरूरत को पूरा करना एक बेहतर Sadqa Karne Ka Tarika ।
  • जिस्म का सदक़ा वो है किसी गरीब की मदद करना किसी की तकलीफ को दूर करना या फिर कोई गिर जाए तो उसे उठाना भी सदक़ा है ।
  • दो लोगों के बीच इंसाफ करना भी सदक़ा है ।
  • किसी को उसकी सवारी पर सवार करने मे मदद करना भी एक Sadqa Karne Ka Tarika है ।
  • अच्छी बात करना भी सदक़ा है ।
  • छोटी से छोटी चीज से मदद करना भी सदक़ा है ।
  • नमाज़ की तरफ हर उठने वाला कदम भी सदक़ा है ।
  • तकलीफदेह चीज को रास्ते से हटाना भी Sadqa Karne Ka Tarika है ।
  • अल्लाह का जिक्र करना भी Sadqa Karne Ka Tarika है , अल्लाह के जिक्र मे सुबहानअल्लाह , अलहमदुलिल्लाह , अल्लाहुअकबर असतग़फार और ला इलाहा इल्लल-लाह है । इनका जिक्र करने से हमारे बदन के 360 जोड़ों का हक अदा हो जाता है ।

इसके अलावा किसी से मुस्कुराकर बात करना , किसी भटके हुए को रास्ता बताना और नेकी का हुक्म करना और बुराई से रोकना भी एक Sadqa Karne Ka Tarika है । नाज़रीन अब आप खुद सोच सकते है की इन छोटी-छोटी नेकियों से कितना अज्र और सवाब मिल सकता है अगर आप भी इन कामों को करे ।

अगर आपके पास माल और दौलत है तो आप माल और जिस्म से भी सदक़ा कर सकते है । वो भी एक (Sadqa Karne Ka Tarika) बेहतर है ।

Sadqa Ki Fazilat In Hindi

नाज़रीन अब हम आपको Sadqa ki fazilat in hindi के बारे मे बताने  जा रहे है । सदक़ा देने से हमे दुनिया और आखिरत मे क्या फायदा हासिल होने वाला है , और सदक़े की अल्लाह के नजदीक क्या अहमियत है इसको भी जानिए , सदक़े की फ़ज़ीलत हमे तब ही मिलेगी जब हम सही Sadqa Karne Ka Tarika अपनाएंगे ।

  • सदक़ा जाहिरी और बातिनी पाकीज़गी का जरिया बनता है और सदक़ा गुनाहों का कफ़फारा है ।
  • दुनिया मे सदक़े का बदला पूरा-पूरा दिया जाता है ये अल्लाह का वादा है और जो आपने अल्लाह की राह मे दिया है अल्लाह इससे भी बेहतर अता करता है ।
  • सदक़ा अल्लाह के गुस्से और गजब को खतम करता है ।
  • सदक़ा कब्र की गर्मी को खतम कर देता है ।
  • सदक़ा करने वालों के लिए फ़रिश्ते भी दुआ करते है ।
  • अल्लाह की राह मे खर्च करने वाला बुरी मौत से बच जाता है और अल्लाह के अमान मे रहता है ।
  • सदक़ा देने से माल कम नहीं होता , औरत को अपने शोहर की कमाई मे से सदक़ा देने का पूरा अजर और सवाब मिलता है ।
  • मरने वाले की तरफ से सदक़ा करने पर मययत को पूरा सवाब मिलता है ।
  • सदक़ा देने पर दुनिया मे अल्लाह बुराई के 70 दरवाजे बंद करता है और सदक़े का सवाब आखिरत मे 700 गुनाह बढ़ा दिया जाएगा ।
  • सदक़ा आखिरत मे जहन्नुम से बचने का जरिया है ।
  • अल्लाह के यहाँ थोड़े से सदक़े का भी पहाड़ बराबर अज्र मिलेगा ।

Sadqa Ki Fazilat Hadees Ki Roshni Me

नाज़रीन सदक़ा देने की फ़ज़ीलत कुरान और हदीस मे बहुत कसरत से हुई है , अल्लाह तआला ने कुरान मजीद मे बहुत ज्यादा ज़कात और सदक़ा करने वालों की फ़ज़ीलत बयान की है और सदक़ा करने वालों को बड़ा अज्र और सवाब है , यहाँ हम आपको कुरान की कुछ हदीस बता रहे है ।

अल्लाह तआला फरमाते है ,

(1) उन लोगों की मिसाल ऐसी है जो अल्लाह की राह मे खर्च करते है जैसे किसी ने जमीन मे एक दाना बोया और उस दाने से सात बाले निकल आई और हर बाल मे सौ दाने हो , अल्लाह जल शानहू इससे भी ज्यादा जिसको चाहते है अता करते है ।

(2) जो कुछ तुम अपनी ज़िंदगी मे आगे भेज दोगे उसी मे तुम्हारे लिए खैर है और इसका बदला रोज ए कयामत बहुत ज्यादा मिलने वाला है ।

(3) ऐ ईमान वालों खर्च कर लो उन चीजों मे से जो हमने तुम को दी है , इससे पहले के वो दिन आ जाए जिसमे ना तो खरीद और फरौखत हो सकती है ना दोस्ती होगी और ना किसी की सिफारिश होगी ।

(4) ऐ मुसलमानों तुम कामिल (पक्की) नेकी को हासिल नहीं कर सकोगे , जब तक तुम अल्लाह की राह मे उस चीज को खर्च ना कर दो जो तुम्हें सबसे ज्यादा महबूब (पसंद) है ।

(5) और दोड़ों उस बख्शीश की तरफ जो तुम्हारे रब की तरफ से है और दोड़ों उस जन्नत की तरफ जिस का फैलाओ सारे आसमान और जमीन मे है , जो तय्यार की गई है ऐसे मुत्तकी लोगों के लिए जो अल्लाह की राह मे खर्च करते है फराखी मे भी और तंगी मे भी ।

इसके अलावा बहुत सी कुरान की ऐसी आयते है जिनमे अल्लाह तआला ने सदक़ा करने का हुक्म किया है , आप कुरान की तिलावत तर्जुमे के साथ करे ताकि आपको कुरान की हकीकत मालूम हो सके ।

चंद हदीसे हम नबी ऐ पाक सल्ल ० और उन की रिवायत से बता देते है , जिससे आपको हदीस के अंदर सदक़ा करने वालों की फ़ज़ीलत मालूम हो जाएगी ।

अबु हुरैरा रजि ० रिवायत करते है,

रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया की जो शख्स अपनी हलाल कमाई से खजूर बराबर सदक़ा करता है तो अल्लाह तआला उसे अपने दायें हाथ से कुबूल कर लेता है और उसे ऐसे पालता है जैसे तुम अपने जानवर के बछड़े को पालते हो यहाँ तक की उसे पहाड़ बराबर कर देगा ।

एक रिवायत मे लिखा है ,

नबी अकरम सल्ल ० का पाक इरशाद है के जब आदमी मर जाता है तो इसके आमाल का सवाब खतम हो जाता है , लेकिन 3 चीजे ऐसी है ,जिसका सवाब मरने के बाद भी मिलता रहता है एक सदक़ा ए जारिया दूसरा वो इल्म जिससे लोगों को फायदा पहुंचता रहे , तीसरा सालीह औलाद जो इसके मरने के बाद दुआ करती रहे ।

एक रिवायत मे लिखा है ,

नबी अकरम सल्ल ० का पाक इरशाद है के जिसने रिया (दिखावा) की नियत से नमाज़ पढ़ी उसने शिर्क किया , जिसने रिया के इरादे से रोज़ा रखा उसने शिर्क किया और जिसने रिया की नियत से सदक़ा दिया उसने शिर्क किया ।

हज़रत साद रजि ० ने अर्ज किया ,

या रसूल अल्लाह सल्ल ० मेरी वालीदाह का इनतेकल हो गया , (उनके ईसाले सवाब के लिए) कौन स सदक़ा ज्यादा अफजल है , तो आपने इरशाद फरमाया के पानी सबसे ज्यादा अफजल है , फिर हज़रत साद रजि ० ने अपनी वालिदाह के सवाब के लिए कुआ खुदवाया ।

एक रिवायत मे लिखा है ,

नबी अकरम सल्ल ० ने इरशाद फरमाया कि सदक़े से माल कम नहीं होता ।

Sab Se Afzal Sadqa

नाज़रीन सबसे अफजल सदक़ा अपने माल का खर्च करना है , अपने माल को अपने रिश्तेदारों पर खर्च करे , रिश्तेदारों मे सबसे पहले आपकी बीवी , औलाद और वालिदैन है इसके बाद पड़ोसी रिश्तेदार गरीब मिसकीन वगैरह शामिल करे ।

इस बात की दलील हम आपको हदीस के अल्फ़ाज़ मे बता देते है , (अबु दाऊद)

अबु हुरैरा रजि ० फरमाते है ,

नबी अकरम सल्ल ० से किसी ने पूछा कि सबसे अफ़ज़ल सदक़ा कौन सा है ? नबी ० ने फरमाया के कम माल वाले का सदक़ा देने की बहुत ज्यादा कोशिश करना सबसे अफजल सदक़ा है और फरमाया , और उसको दो जिसकी ज़रूरियात तुम पर वाजिब है ।

Bimari Ka Sadqa

रसूल अल्लाह सल्ल ० का इरशाद है के अपने बीमारों का इलाज सदक़े से करो । अगर आपके घर मे कोई बीमार हो जाए तो Sadqa Karne Ka Tarika ये है किसी ऐसे जरूरत मंद को सदक़ा कर दो जिसे सदक़े की ज्यादा जरूरत है । सदक़ा आप किसी भी चीज का दे सकते है ।

आज हमारे माशरे मे ये काफी आम हो गया है के अगर कोई बीमार है तो काली मुर्गी ज़िबह कर दो या काले बकरे का गोश्त बदन से 6-7 बार उतारकर गरीबों मे तकसीम कर दो जो शरीयत मे नहीं है , अगर किसी गरीब मिसकीन को गोश्त की जरूरत ना हो और उसे पैसों की जरूरत है तो आप के लिए ये बेहतर है ।

वैसे गरीबों मे गोश्त तकसीम करना भी सदक़ा है , आप जो चाहे सदक़ा कर सकते है लेकिन शिर्क और बिदत वाले कामों से बचे ।

Sadqa Dene Ki Dua

सदक़ा देने की कोई खास दुआ मुकर्रर नहीं है , आप जब भी किसी को सदक़ा दे तो अपने दिल मे ये इरादा करे की सिर्फ अल्लाह की रज़ा के वास्ते दे रहा हु । इस बात का ध्यान रखे की आप दिखावा नहीं कर रहे है या अपने दिल मे तकबबुर ना आने दे (कि मै इतने सारे रु ० दे रहा हु) ।

अगर आप किसी फकीर और मिसकीन को सदक़ा दे , तो आप (फी-सबी लिल्लाह) पढ़ सकते है , इसका मतलब है (अल्लाह की राह मे) ।

Sadqa Kitna Dena Chahiye

नाज़रीन फर्ज Sadqa Karne Ka Tarika और इसके देने की मिक़दार मुकर्रर की गई है , लेकिन नफ़िल सदक़े की कोई मिक़दार मुकर्रर नहीं है । आप अल्लाह की राह मे जितना चाहे खर्च कर सकते है । आप चाहे तो 1 रु ० भी रोज दे सकते है।

जिस तरह नफ़िल नमाज़ ज्यादा पढ़ने पर ज्यादा सवाब मिलता है उसी तरह नफ़िल सदक़ा जितना ज्यादा देंगे उतना ही ज्यादा अजरों सवाब मिलेगा । आप 1 रु० भी दे सकते है और 1 लाख भी , जितना देंगे उतना ही सवाब ज्यादा है।

उलमा ने हमारी आसानी के लिए ये बता दिया है के आप अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा हर महीने निकाल सकते है । वो आपके दिल का इख्तियार है के आप कितना देना चाहते है।

आज आपने क्या सीखा

नाज़रीन आज हमने आपको Sadqa Karne Ka Tarika और इससे जुड़े तमाम मसाइल के बारे मे तवील के साथ बताया है , अगर किसी जगह कमी हो गई हो तो बराये मेहरबानी माफ कीजिए , उम्मीद करते है की आपको हमारा ये लेख पसंद आया हो , इसे अपने अहल खाना और अहबाब के साथ भी शेयर करे और आपके अपने ब्लॉग IslamicPathshala मे बने रहे।

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