Sajda e sahu ka tareeqa – सजदा सहु का सही तरीका 2022

अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल लाही वबा रकातुहू खुशामदीद करते है आपके अपने ब्लॉग islamicpathshala मे । आज हम आपको Sajda e sahu ka tareeqa , sajda sahu या फिर sajda e sahu कब और क्यू वाजिब होता है इसके बारे मे बताने वाले है।

दोस्तों ये तो सभी को मालूम है के sajda e sahu का मतलब क्या है। अगर नहीं मालूम तो हम आपको बता देते है । नाज़रीन जब हम नमाज़ पढ़ते है तो अक्सर ऐसा होता है के शैतान हमारी नमाज़ मे दखल देता है या फिर हमारा ध्यान कही और चला जाता है । जिसकी वजह से हमारी नमाज़ मे कुछ कमी वगैरह हो जाती है ।

उसी कमी को दूर करने के लिए आखरी रकात मे अत्ताहीययात के बाद दो सजदे किए जाते है । इसी को sajda e sahu कहते है । नाज़रीन इस पोस्ट मे हम आपको Sajda e sahu ka tareeqa पूरी तफ़सील के साथ बताने वाले है । इसलिए तमाम पोस्ट को लाज़मी पढे ।

Sajda e sahu ka tareeqa

नाज़रीन नमाज़ मे जितनी चीज़े वाजिब है इसमे से एक वाजिब या कई वाजिब अगर भूले से छूट जाए तो sajda sahu वाजिब हो जाता है । इसके कर लेने से नमाज़ दुरुस्त हो जाती है । अगर आपने sajda sahu नहीं किया तो फिर आपको नमाज़ दोबारा पढ़नी पड़ेगी ।

यहां एक बात गौर फरमाइए क्या आपको पता है के namaz ke wajibat kitne hai या नमाज़ मे कितनी चीज़े वाजिब है। अगर आपको मालूम नहीं है तो आप परेशान न हो यहां हम आपको namaz ke wajibat भी बताएंगे ।

namaz ke wajibat

नाज़रीन नमाज़ मे कुल 14 वाजीबात है अगर हमारा एक भी वाजिब छूट जाए  तो हमे sajda e sahu करना होगा।

  • फर्ज नमाज़ की पहली दो रकातो को किरात के लिए मुकर्रर करना ।
  • फर्ज नमाज़ की तीसरी और चौथी रकात के अलावा तमाम नमाजों की ( सुन्नत , नफ़िल , वित्र) हर रकात मे surah fatiha पढ़ना ।
  • हर फर्ज नमाज़ की पहली दो रकातो समेत तमाम नमाजों की हर रकात मे surah fatiha के बाद कोई सूरत या बड़ी एक आयत या छोटी तीन आयते पढ़ना ।
  • surah fatiha को सूरत से पहले पढ़ना ।
  • अरकाने नमाज़ मे तरतीब कायम रखना यानि नमाज़ के फराइज़ मे तरतीब या step by step फरजो को अदा करना ।
  • कौमा यानि रुकु से सीधा खड़ा होना ।
  • जलसा यानि दोनों सजदों के दरमियान एक मर्तबा subhanallah कहने के बराबर बैठना ।
  • तादीले अरकान यानि इत्मीनान से नमाज़ अदा करना ।
  • कायदा औला करना यानी तीन या चार रकात वाली नमाज़ मे दो रकात के बाद अत्ताहीययत पढ़ने की मिकदार बैठना ।
  • दोनों कायदों मे तशाहहुद पढ़ना ।
  • इमाम को जहरी नमाज़ मे बुलंद आवाज से और सररी नमाज़ मे आहिस्ता किरात करना ।
  • लफ़्ज़ सलाम से नमाज़ खतम करना ।
  • नमाज़ वित्र मे qunoot के लिए तकबीर कहना और dua e qunoot पढ़ना ।
  • दोनों ईदों मे जाइद 6-6 तकबीरे कहना ।

नाज़रीन ये है namaz ke wajibat अगर इनमे से एक भी वाजिब भूले से छूट जाए तो sajda e sahu करने से नमाज़ सही हो जाएगी अगर आपने जानकर छोड़ा है तो नमाज़ लोटाना जरूरी है ।

note : अगर आपने नमाज़ का कोई फर्ज छोड़ दिया तो आपको नमाज़ फिर से लोटानी होगी । नमाज़ मे 6 चीज़े फर्ज है ।

ये भी पढे : salatul tasbeeh namaz 

Sajda e sahu ka tareeqa हदीस मे :

दोस्तों Sajda e sahu ka tareeqa हदीस से साबित है यानि हमारे नबी सल्ल ० को जब नमाज़ मे कोई भूल चूक हो जाती तो आप Sajda e sahu करते और दूसरों को भी इसके करने का हुक्म फरमाते ।

यहां हम आपको नबी सल्ल ० की हदीस या Sajda e sahu ka tareeqa बताएंगे ।

अबु सईद खुदरी रजि ० फरमाते है के रसूल सल्ल ० ने फरमाया के तुम मे से जब किसी को नमाज़ मे शक हो जाए के इसने कितनी रकाते अदा की है । तो अगर 3 या 4 रकाते अदा की है तो ऐसी सूरत मे शक को नजर अंदाज कर दे ।फिर आपने फरमाया के आप यकीन कर ले यानि अगर आपने 3 रकत पढ़ी और आपको शक है के मैंने 4 पढ़ ली तो आप चौथी रकात पूरी करके सलाम फेरने से पहले सहू के दो सजदे करले । इससे आपकी नमाज़ दुरुस्त हो जाएगी ।                        (सही मुस्लिम)

Sajda e sahu एक रकात के कायम मुकाम है कम हो जाए तो पूरा कर देंगी ज्यादा रकाते होंगी तो दो अलग करके नफ़िल का सवाब दे देंगी और बराबर है तो शैतान को जलील कर देंगी ।

इसके इलावा भी हमारे नबी पाक सल्ल ० ने बहुत सी हदीस बताई जिनसे हमे Sajda e sahu ka tareeqa पता चलता है।

नाज़रीन वैसे तो Sajda e sahu ka tareeqa तीन है  यहां हम आपको दो तरीके बता रहे है ।

Sajda e sahu ka tareeqa (2)

पहला तरीका :

अगर आपको नमाज़ मे शक हो रहा है या नमाज़ मे कोई वाजिब छूट गया है या कोई गलती याद आ जाए तो सारी रकात मुकम्मल करने के बाद यानि अगर आपने दो की नियत की है या चार की नियत की है तो अत्ताहीययात और durood sharif और दुआ पढ़कर अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे मे जाए और अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे से उठे यानि दो सजदे इसी तरह करे और फिर सलाम फेरे ।

ये Sajda e sahu ka tareeqa पहला है ।

दूसरा तरीका :

अगर आपको नमाज़ मे कोई भूल हो जाए या आपका कोई वाजिब छूट जाए तो दो , तीन या चार रकात के आखिर मे अत्ताहीययात के बाद सीधी तरफ सलाम फेरे और फिर दो सजदे करके फिर से अत्ताहीययात , durood sharif और dua e masura पढ़कर सलाम फेर ले ।

ये Sajda e sahu ka tareeqa दूसरा है ।

note : नाज़रीन Sajda e sahu ka tareeqa और इसके मसाइल की मुकम्मल जानकारी के लिए आप बहिश्ती जेवर किताब को भी पढ़ सकते है ।

आज आपने क्या सीखा । 

आज आपने Sajda e sahu ka tareeqa , sajda e sahu और sajda sahu के बारे मे जाना है | उम्मीद है के आपको हमारी ये छोटी सी पोस्ट पसंद आई होगी । हमारी पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करना न भूले । नाज़रीन हमारी तमाम पोस्ट को पढ़ने के लिए islamicpathshala मे बने रहे ।

दुआ खैर मे न भूले अस्सलामु अलैकुम ।

दोस्तों मुकम्मल जंकरी के लिए आप इस विडिओ को भी देख सकते है |

 

 

 

 

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