Shab E Barat ki Raat 2022 – शब-ए-बारात, मे किये जाने वाले अमल ।

क्या Shab e barat ki raat कोई खास नफ़िल नमाज़ पढ़ी जाती है , क्या इस दिन का रोज़ा रखना जरूरी है क्या इस रात नए कपड़े पहनने जरूरी है । इसके अलावा और भी बहुत सारे सवालात है जिनको लेकर बहुत से हमारे भाई बहन परेशान है । आज हम आपको इन तमाम सवालों के जवाब और इसके अलावा भी और बहुत कुछ बताने जा रहे है ।

मेरे प्यारे दोस्तों इस्लाम दीन एक ऐसा मजहब है । जिसमे अल्लाह ने हर काम करने के बदले नेकी अता फरमाई है लेकिन वो नेकी हमे जब मिलती है जब हुज़ूर के तरीके पर काम किया गया हो यानि सुन्नत तरीका । मगर अफ़्सोस है के आज ये सुन्नत तरीका हमारी ज़िंदगी से खतम हो रहा है ।

प्यारे दोस्तों आज के इस आर्टिकल मे हम आपको Shab e barat ki raat क्या पढ़ना चाहिए । इसके बारे मे मुकम्मल जानकारी देने वाले है । इसलिए पोस्ट को बरा ऐ मेहरबानी आखिर तक लाज़मी पढे ।

Shab e barat ki raat

सबसे पहले हमे ये मालूम करना है के Shab e barat क्या है ? नाज़रीन शब ए बारात शाबान की 15 वी तारीख का नाम है । शब के माइने रात और बारात के माइने बरी होना । हमारे इस्लामिक महीनों के मुताबिक शाबान (8) वा महिना है । इस महीने की 15 तारीख को एक खास नाम दिया गए है । जिसे लोग Shab e barat , shab e raat mubarak वगैरह नामों से जानते है ।

इस रात को इबादत की रात भी कहते है । जो भी Shab e barat ki raat मे इबादत करता है तो उसे और दिन के मुताबिक ज्यादा सवाब मिलता है । मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपको इस रात के बारे कुछ मुखतलिफ़ बाते बताएंगे । दोस्तों सब लोग ये जानते है के इस रात को जागने और इबादत करने से बहुत ज्यादा सवाब मिलता है ये बात बिल्कुल ठीक है । मगर Shab e barat ki raat का जिक्र कुरान मे नहीं है और इसकी हदीस भी बहुत ज़ईफ है ।

कुछ लोगों ने इस रात को इबादत करने और जागने को shab e qadr से ज्यादा अहमियत दे दी है जो बिल्कुल गलत है । न ही इस रात कोई खास नफ़िल नमाज़ पढ़ी जाती है । अक्सर लोग maghrib की नमाज़ के बाद 6 nafil namaz पढ़ते है जो किसी हदीस से साबित नहीं है हमारे प्यारे रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इस रात कोई खास नफ़िल नमाज़ का एहतमाम नहीं बताया है ।

नाज़रीन हमारे हुज़ूर ने हमे सारी नमाज़े सिखाई (salatul tasbeeh namaz (यहां आप इस नमाज़ का तरीका भी देख सकते है ) ,अववाबीन की नमाज़ , tahajjud ki namaz , ishraq ki namaz और इसके अलावा salatul hajat ki namaz वगैरह के बारे मे बताया लेकिन आपने कभी कोई Shab e barat ki raat ki namaz या कोई खास नफ़िल नमाज़ के बारे मे नहीं फरमाया ।

हमारे बहुत से उलमा और मुफ्ती से मालूम होता है के इस रात मे सिर्फ अल्लाह की इबादत (इबादत मे आप कोई भी नमाज़ पढ़ सकते है जैसे qaza e umri , salatul tasbeeh namaz , और tahajjud ki namaz ) वगैरह इसके अलावा अल्लाह की तसबीह durood sharif का एहतमाम और जितना हो सके अल्लाह से दुआ मांगे । ये पढ़ना चाहिए । इन सारी इबादत को करने का हुक्म फरमाया है ।

लेकिन बहुत अफसोस और शर्म की बात है ।  हमारे नबी सल्ल ० ने जो काम नहीं किया है उस काम को हम सुन्नत समझकर कर रहे है यानि हम लोग इस रात मग़रिब की नमाज़ से पहले ग़ुसल करते है 6 nafil namaz कुछ खास तरीके से पढ़ते है उसमे सूरह इखलास और सूरह यासीन भी पढ़ते है । जो किसी भी हदीस मे हमारे नबी ने नहीं  फरमाया है और हम ये समझ कर पढ़ते है की ये सुन्नत तरीका है ।

इसके पढ़ने से बहुत ज्यादा सवाब मिलेगा लेकिन अल्लाह के यहां सवाब की जगह हमे बिदअत और गुनाह मिल रहा है । जो हमारी आखिरत को भी नुकसान मे डाल रहा है । कुछ लोग Shab e barat ki raat को पूरी रात जागना बहुत जरूरी और सवाब समझते है और सबसे कहते है के मैंने पूरी रात जागकर इबादत की है और सबको जताते है । लेकिन ये बहुत बड़ा गुनाह है और ये सब काम बिदअत है ।

Bidat kya hai

हर वो काम जिसकी असल या बुनियाद शरीयत से साबित न हो और हम उस काम को सवाब और नेकी की नियत से करे तो वो बिदअत है । यानि जो काम दीन के अंदर न हो या जो हमारे नबी से साबित या उनकी रिवायत से न हो और हम उस काम को नेकी (सुन्नत) समझकर करे तो वो हर काम बिदअत है । मेरे प्यारे भाइयों और बहनों आज हम आपको कुछ ऐसी बिदअत बाते जो Shab e barat ki raat मे हम लोग करते है बताने जा रहा हु ।

यहाँ हम आपको Shab e barat की (10) बिदअत बाते बता देते है ।

(1) गुसल करना

मेरे प्यारे अज़ीज़ों बहुत से लोगों का ये अक़ीदा है के Shab e barat मे मग़रिब से पेहले या बाद मे ग़ुसल करने की बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है और हमारे बहुत से बुजुर्ग तो ये भी कहते है के इस रात ग़ुसल करके नमाज़ पढ़ने पर बालों से जो पानी टपकता है वो हमारे गुनाह झड़ते है । लेकिन ये बहुत बड़ी बिदअत है अगर आपकी नियत ये है के इस रात ग़ुसल करने से बहुत सवाब मिलता है और ये मसनून तरीका है तो आप बिल्कुल ग़लत रास्ते पर है ये सब बिदअत है ।

इस रात ग़ुसल करना ना वाजिब है , ना सुन्नत है । लेकिन जिस तरह आप रोज ग़ुसल करते है अगर आपकी नियत यही है तो फिर ठीक है इससे आपको गुनाह नहीं मिलेगा । आप इस दिन जरूरी नहीं है के ग़ुसल करना है बगैर ग़ुसल के भी नमाज़ पढ़ सकते है ।

(2) सारी रात जागना

एक बिदअत ये है के लोग Shab e barat ki raat को जागना जरूरी और बहुत सवाब समझते है । लेकिन जागना जरूरी नहीं है बल्कि इबादत करना जरूरी है अगर आप इखलास के साथ और सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करेंगे । तो अल्लाह को ये पसंद है। हमारे मुआशरे मे ये बिदअत बहुत फैल गई है और लोग एक दूसरे से ये भी कहते है के मै तो सारी रात जागा हु और पता नहीं क्या क्या कहते है। मेरे प्यारे दोस्तों दिन ऐ इस्लाम मे हर काम की बहुत आसानी है यानि अगर आप सारी रात इबादत नहीं कर सकते तो आप कुछ आराम भी कर सकते है ।

(3) खास नमाज़े पढ़ना

हमारे मुआशरे मे ये बिदअत भी बहुत बढ़ गई है के हम लोग Shab e barat ki raat कुछ खास नमाज़ पढ़ते है । जैसे (100 नफ़िल वाली नमाज़ , मग़रिब के बाद 6 नफ़िल की नमाज़ और सलाम के बाद सूरह यासीन पढ़ना) और इसके अलावा भी चंद खास नमाज़े लोगों ने अपने आपसे बना ली है । लेकिन इन नमाजों की सही हदीसो से कोई दलील साबित नहीं है । हदीस मे सिर्फ इस रात इबादत का हुक्म है ये नहीं बताया गया के ये नमाज़ पढ़ी जाएगी या ये इबादत करनी है ।

(4) नफ़िल नमाज़ जमात से पढ़ना

हमारे मुआशरे मे ये भी काम इस रात लोग करते है । नफ़िल नमाज़ को जमात के साथ पढ़ते है और औरते भी जमात करके salatul tasbeeh namaz पढ़ती है । जबकि नफ़िल नमाज़ को हमारे हुज़ूर घर मे अदा करते थे । नफ़िल नमाज़ को अलग अलग और तन्हा होकर पढ़नी चाहिए। जैसे tahajjud की नमाज़ है और हमारी qaza namaz है और हाजत की नमाज़ इसके salatul tauba की नमाज़ है , इन सबको घर मे ही पढ़नी चाहिए । बहुत से लोग मस्जिद मे जाते है और जमात से salatul tasbeeh namaz पढ़ते है जो बिदअत है ।

(5) मर्दों और औरतों का इजतेमा

बहुत सी जगह और इलाके ऐसे है जहां औरत और आदमियों के साथ इजतेमा होता है । यानि Shab e barat ki raat मे मर्द और औरत इखट्टे होकर इजतेमा मे जाते है । ये काम भी बिदअत है । जिससे आपको और हमे बचना चाहिए ।

(6) मीठी चीज पकाना और बाटना

Shab e barat ki raat ये बहुत आम हो गया है के लोग इस दिन मीठी चीज जैसे (हलवा , मीठे चावल) वगैरह पकाते है और बाटते है । इस काम को करना इतना जरूरी समझते है के इसके करने पर बहुत सवाब मिलेगा और पकाना जरूरी है और जो नहीं करता उसे बहुत बुरा और सुन्नत के खिलाफ उस शख्स को समझते है । लेकिन उन लोगों को अपना अक़ीदा (यकीन) दुरुस्त करना चाहिए ।

क्यूंकि ये सारे काम बिदअत के है और कुछ लोग तो देगे भी बनवाते है और बाटते है , जो नहीं करना चाहिए । अगर आप इस नियत से करेंगे की हलवा पकाना जरूरी है या सवाब मिलेगा या सुन्नत है तो ये सब बाते बिदअत है ।

(7) आतिशबाजी और चिराग़ा करना

बहुत से हज़रात ऐसे है जो Shab e barat ki raat को आतिशबाजी करते है । इसे त्योहार समझते है और चिराग़ा करते है । ये सब बिदअत है । इससे गुनाह तो मिलेगा ही और साथ मे जानी और माली नुकसान भी हो सकता है । इसके अलावा ये सब फालतू मे खर्च है जो बिल्कुल ग़लत है ।

(8) कब्रिस्तान जाना

ये बिदअत भी हमारे मुआशरे मे फैली हुई है के लोग Shab e barat ki raat को कब्रिस्तान जाना बहुत जरूरी समझते है । लेकिन हमारे नबी सल्ल ० की हदीस से मालूम होता है के हुज़ूर सारी ज़िंदगी Shab e barat मे सिर्फ एक बार कब्रिस्तान चुपके से गए थे और आज हम लोग Shab e barat ki raat को कब्रिस्तान मे ग्रुप बनाकर और खुशबू लगाकर जाते है । जो बिल्कुल ग़लत है ऐसा करने से हम सवाब की जगह गुनाहगार हो रहे है । जो हमारी आखिरत मे हमे बहुत भारी पड़ेगी ।

(9) नए कपड़े पहनना

आज हमारे मुआशरे मे Shab e barat ki raat मे नए कपड़े पहनने का रिवाज बहुत ज्यादा चल रहा है और हम लोग ये समझकर पहनते है के ये त्योहार है । जिसकी वजह से हम और भी गुनाह कमाते है और नए कपड़े पहनना बहुत जरूरी और सुन्नत समझते है । मेरे प्यारे भाइयों और बहनों Shab e barat ki raat इबादत की और मगफिरत की रात है ये कोई खुशी का दिन नहीं है । इसलिए इस बिदअत से भी बचना बहुत जरूरी है ।

(10) मुबारकबाद देना

बहुत से हजरात ऐसे है जो एक दूसरे को Shab e barat की मुबारकबाद देते है । जबकि शरीयत मे ऐसा कुछ नहीं है या किसी भी हदीस मे ऐसा नहीं लिखा है के इस रात एक दूसरे को मुबारकबाद देनी चाहिए । हम लोग इसे जरूरी और सवाब की नियत से करते है जो हमारे लिए उल्टा हो रहा है और हमारी परेशानीका जरिया बन रहा है ।

मेरे प्यारे दोस्तों उम्मीद है की आपको ये सारी बाते समझ मे आ गई होंगी । हमने आपको ये तमाम बाते इसलिए बताई है ताकि जो अनजाने मे गुनाह हुए है उन्हे अल्लाह मुआफ़ कर देगा लेकिन जो हमने जानकर किए मतलब सारी बाते मालूम होने के बाद भी किये तो अल्लाह हमे मुआफ़ नहीं करेंगे । इसलिए अगर आप भी ऐसा करते है तो अल्लाह के वास्ते न करे क्यूंकि ये आपके लिए सवाब नहीं अज़ाब बन जाएगा । हमारा मकसद सिर्फ और सिर्फ आप तक सही जानकारी पहुँचाना है ।

Shab e barat ki raat ki namaz

मेरे प्यारे दोस्तों बहुत से लोगों का ये सवाल है के Shab e barat ki raat ki namaz kaise padhe इस रात आपसे जितना हो सके इबादत करे और अल्लाह से दुआ करे । हमने आपको ऊपर भी बताया है के Shab e barat ki raat मे कोई खास नमाज़ नहीं है आप कोई भी नमाज़ पढ़ सकते है । जैसे (salatul tasbeeh namaz , tahajjud ki namaz) इसके अलावा कोई भी नफ़िल नमाज़ पढे । शरीयत मे सिर्फ इस रात इबादत का हुक्म है कोई खास नमाज़ नहीं बताई गई है ।

और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह से दुआ मांगे और पूरी आजज़ी और सच्चे दिल से मांगे रो-रोकर दुआ मांगे । अपनी मगफिरत अपने वालिदैन की मगफिरत और तमाम मुसलमानों के लिए भी दुआ करे । अपने मरहूम को भी सवाब पहुंचाए और तमाम कब्रिस्तान वालों की मगफिरत की दुआ करे । क्यूंकि ये मुबारक रात इबादत और मगफिरत की रात है । और आपसे जितना हो सके उतनी इबादत करे , हमारे दीन मे बंदे के लिए हर तरीके से आसानी है ।

Shab e barat ka roza

नाज़रीन Shab e barat ka roza या फिर इससे अगले दिन का रोज़ा रखने से बहुत ज्यादा सवाब और बहुत ज्यादा फ़ज़ीलत है ऐसा सोचते है । हमारे नबी सल्ल ० की हदीस से मालूम होता है के आपने शाबान के महीने मे सबसे ज्यादा रोज़े रखे है , कभी-कभी तो आप पूरे महीने के रोज़े भी रखते थे । लेकिन आप सिर्फ 15 शाबान या 14 शाबान को ही रोज़ा रखना जरूरी न समझे । आप शाबान के पूरे महीने मे कभी भी रोज़ा रख सकते है और इस रात भी रख सकते है।

आप इसे खास समझकर न रखे क्यूंकि कुछ लोग कहते है के इस रात रोज़ा रखने से 60 साल के अगले और पिछले गुनाह मुआफ़ होते है , हदीस से  इसकी कोई दलील नहीं मिली है ।

Shab e barat ki raat ki fazilat

नाज़रीन Shab e barat ki raat क्या नहीं करना चाहिए और क्या करना चाहिए ये तो आप सबको मालूम हो गया है । अब हम आपको इस रात और शाबान की 15 तारीख की फ़ज़ीलत भी बता देते है ।

सही सनस की रिवायत है के रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के अल्लाह तआला शाबान की 15 वी रात को ( Shab e barat ki raat) अपने बंदों पर नजर ऐ रहमत से देखते है और फिर फरमाया मुशरीकीन (काफिर) और कीना (किसी दूसरे के लिए अपने दिल मे हसद , बुगज़ और बुराई रखना) परवर इंसानों को छोड़कर तमाम की बख्शीश फरमा देते है ।

सही अल जामिया की रिवायत है के बे शक अल्लाह तआला Shab e barat ki raat को अपने बंदों पर रहमत से देखता है मोमिनो को मुआफ़ कर देता है , काफिरों को ढील देता है और कीना परवर लोगों को छोड़ देता है (यहां तक की अपने दिलों से कीना को निकाल दे) ।

इसके अलावा हुज़ूर ने शाबान और रमज़ान के अलावा किसि और महीने के पूरे रोज़े नहीं रखे । तो इससे ये भी पता चलता है के इस महीने मी रोज़े रखने की भी बहुत बड़ी फ़ज़ीलत है ।

आज आपने क्या सीखा । 

आज आपने Shab e barat ki raat के बारे मे तफ़सील से जाना है । इसकी फ़ज़ीलत और इस रात क्या काम करने चाहिए और क्या नहीं इन सबके बारे मे जाना है । हमने पूरी कोशिश  की है आपको आसान लफ्जों मे समझाने की , उम्मीद करते है की आपको ये सारी बाते समझ आ गई होंगी । मेरे प्यारे दोस्तों इस पोस्ट को अपने तमाम घर वालों और दोस्तों तक भी पहुंचाए ताकि उन्हे दीन की सही जानकारी हो सके ।

जो काम Shab e barat ki raat नहीं करने चाहिए अपने दोस्तों को भी बताए । मेरे अज़ीज़ों हमारा मकसद सिर्फ यही है के आप तक दीन की मुकम्मल और सही जानकारी पहुँचाना । यही सुन्नत तरीका जो हमने आपको इस पोस्ट मे बताया है । अगर कोई गलती इस पोस्ट मे हमसे हुई है तो बराइ महरबानी माफ कीजिए । अस्सलामु अलैकुम

 

 

 

 

 

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