नाज़रीन आज हम आपको Shab E Qadr Ki Fazilat बताएंगे। जैसा की आपको मालूम होगा Shab E Qadr रमजानुल मुबारक की एक खास रात है जो रमज़ान के आखिरी अशरे की ताक रातों मे तलाश की जाती है । ताक रात 21 , 23 , 25 , 27 , 29 वी रात का नाम है । जिसमे 27 वी रात को बआज़ उलमाओ ने Shab E Qadar की रात का इम्कान (संभावना) रखा है । लेकिन हमे इन सारी ताक रातों मे जागना चाहिए , पता नहीं कौनसी रात हमारे लिए मखसूस हो जाए और अल्लाह को हमारी कौन सी इबादत और कौन स अमल पसंद आ जाए ।
नाज़रीन Shab E Qadar से ही आपको मालूम हो जाएगा कि इसका असल मतलब क्या है । जैसे शब का मतलब होता है रात और कद्र का मतलब है अहमियत या इज्जत । इस तरह एक ऐसी रात जो बहुत ही अहम या क़द्र वाली रात है । इस रात मे जिब्राइल और बहुत सारे फ़रिश्ते उतरते है । फरिश्तों की तादाद बआज़ उलमा ने कंकर के बराबर की है यानि जिस तरह तमाम दुनिया की कंकर नहीं गिनी जा सकती है इतनी तादाद फरिश्तों की इस रात जमीन पर उतरती है । subhanallah कितनी बड़ी Shab E Qadr Ki Fazilat है और हम इस रात को बेखबर होकर सोते रहते है ।
Shab E Qadr Ki Fazilat
एक मर्तबा रमज़ान करीब आने से पहले हमारे नबी सल्ल ० ने सहाबाओ को जमा किया । सहाबा जमा हो गए तो आप कहने लगे की तुम पर एक महीना (रमज़ान) आने वाला है और उस महीने की एक रात अपनी क़द्र और अजमत के एतबार से इतनी अहम है के वो रात 1000 महीनों से ज्यादा अफजल है । जिसने इस रात को प लिया उसने तमाम खैर को पा लिया और जो इस रात से महरूरम रहा या इस रात को छोड़ दिया उसके लिए बदनसीबी है और बदनसीब से ये रात छीन ली जाती है ।
अगर बात की जाए तो 1000 महीने की यानि (83 साल 4 महीने) , तो सिर्फ इस रात मे जागने और अल्लाह की इबादत , जिक्र ओ अज़कार और दुआ मांगने का सवाब मिलेगा । लेकिन हमारे नबी ने ये भी फरमाया के 1000 महीनों से ज्यादा अफजल है । मालूम नहीं के इससे भी ज्यादा कितना सवाब मिलेगा । अल्लाह तआला इस रात मे अपने बंदों पर कितना रहम फरमाता है और बे हिसाब नियामते अता करता है और हम बदनसीब इस अफजल रात से महरूम रहते है ।
रसूल अल्लाह सल्ल ० Shab E Qadr Ki Fazilat को बयान करते हुए फरमाते है के हक़ तआला शानहू ने मेरी उम्मत पर ये रात मरहमत (बख्शी) फरमाई है । जो पहली उम्मत को नहीं मिली । इस मसले मे मुखतलिफ़ रिवायत है हमारे नबी सल्ल ० ने पहली उम्मत की उमरों को देखा क्यूंकि उनकी उमर बहुत-बहुत होती थी और नबी की उम्मत की उमर बहुत थोड़ी है , जिसकी वजह से नबी को इस बात का बहुत रंज हुआ । इस कमी को पूरा करने के लिए Shab E Qadar की रात नाज़िल हुई । ताकि मेरी उम्मत थोड़ी उमर मे भी ज्यादा सवाब हासिल कर सके ।
Shab E Qadr Ki Fazilat Hadees Ki Roshni Mein
अब हम आपको Shab E Qadr Ki Fazilat हदीस की रोशनी मे बताने जा रहे है ।
नबी करीम सल्ल ० का इरशाद है के जो शख्स लैलातुल क़द्र मे ईमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा हुआ इसके पिछले तमाम गुनाह माफ कर दिए जाते है । (Shab E Qadr Ki Fazilat फजाइल ऐ रमज़ान)
नबी करीम सल्ल ० का इरशाद है के Shab E Qadar मे जिब्राइल अलै ० मलाइका की एक जमात के साथ आते है और उस शख्स के लिए जो खड़े या बैठे अल्लाह का जिक्र कर रहा है (इबादत मे मशगूल) है । दुआ ऐ रहमत करते है और जब ईदुल फ़ितर का दिन होता है । तो अल्लाह जल शानहू अपने फरिश्तों के सामने बंदों की इबादत पर फख्र फरमाते है । अपने फरिश्तों से दरयाफ्त फरमाते है के ऐ फरिश्तों इस मजदूर का जो अपनी खिदमत पूरी पूरी अदा कर दे क्या बदला है ।
वो अर्ज करते है ऐ हमारे रब इसका बदला यही है के उसकी उजरत (मजदूरी) पूरी दे दी जाए तो इरशाद होता है के ऐ फरिश्तों मेरे गुलामों मेरी बाँदियो ने मेरे फरीज़े को पूरा कर दिया । मेरी इज्जत की क़सम , मेरे जलाल की क़सम , मेरे बुलंदी मरतबे की क़सम और मेरी बख्शीश की क़सम मै इन लोगों की दुआ जरूर कुबूल करूंगा । फिर इन लोगों को खिताब फरमाकर इरशाद होता है के जाओ तुम्हारे गुनाह माफ कर दिए गए और तुम्हारी बुराइयों को नेकियों से बदल दिया है । (Shab E Qadr Ki Fazilat फजाइल ऐ रमज़ान)
हज़रत आयेशा रजि ० अन्हा रसूल अल्लाह सल्ल ० से नकल फरमाती है के लैलातुल क़द्र को रमज़ान के आखिर अशरे की ताक़ रातों मे तलाश किया करो । (Shab E Qadr Ki Fazilat फजाइल ऐ रमज़ान)
Shab E Qadr Ki Fazilat मे रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इस रात की कुछ अलामत भी बताई है जो इस तरह है । वो रात खुली हुई चमकदार होती है साफ और शफ़फाफ न ज्यादा ठंडी होती है न ज्यादा गरम होती है । चाँद भी खुला हुआ और इसमे नूर की कसरत होती है । इसकी एक अलामत ये भी है के इसके बाद की सुबह का सूरज बगैर किरणों के निकलता है और ऐसा निकलता है जैसे 14 वी रात का चाँद होता है । और आफताब तुलु के वक़्त शैतान को इसके साथ निकलने से रोक दिया जाता है । (Shab E Qadr Ki Fazilat फजाइल ऐ रमज़ान)
Shab E Qadr Ki Fazilat In Quran
दोस्तों Shab E Qadr Ki Fazilat इतनी ज्यादा है के अल्लाह ने इसके लिए कुरान मे एक सूरत सूरह अल-क़द्र नाज़िल कर दी है । जिसमे इस रात की फ़ज़ीलत इसकी अजमत और मरतबे का जिक्र किया गया है । नाज़रीन इस सूरत से मालूम होता है के अल्लाह ने कुरान पाक का नुज़ूल Shab E Qadr की रात मे किया है लेकिन कौनसी रात है ये नहीं बताया गया है ।
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अल्लाह तआला ने Shab E Qadr Ki Fazilat को इतना बड़ा बताया है के 1000 महीनों से भी बेहतर ये रात है । अल्लाह कितना महरबान है अपनों बंदों पर और इसमे भी कोई एक खास वक़्त नहीं है बल्कि सुबह फ़जर तक अल्लाह की रहमत बरसती है जो उसके चाहने वालों को नसीब होती है । अल्लाह हमे भी रमज़ान और Shab E Qadar की इबादत की ताकत और हौसला अता फरमाए ।
Shab E Qadr Ki Dua
हज़रत आयेशा रजि ० अन्हा ने हुज़ूर रसूल सल्ल ० से पूछा के ऐ अल्लाह के नबी अगर मुझे Shab E Qadar का पता चल जाये तो मै क्या दुआ मांगु , हुज़ूर सल्ल० ने ये दुआ बतलाई ,
اَللّٰهُمَّ اِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّىْ
Shab E Qadr Ki Dua In Hindi :
अल्लाहुम्मा इन-नका अफुव-वुन तुहिब-बुल अफवा फआफू अन्नी
Shab E Qadr Ki Dua In Roman English :
allahumma innaka afuw-wun tuhibbul afwa fa-afu anni
तर्जुमा : ऐ अल्लाह तू बेशक मुआफ़ करने वाला है और पसंद करता है मुआफ़ करने को , पस मुझे भी मुआफ़ कर दे ।
Shab E Qadr Ki Namaz Ka Tarika
दोस्तों Shab E Qadr Ki Namaz Ka Tarika बहुत से हजरात अब सर्च करेंगे । लेकिन हम आपको बता दे की जब हमारे नबी ने इस रात कोई खास नमाज़ नहीं बताई तो हम कैसे अपाने पास से कोई खास नमाज़ पढ़ सकते है । दोस्तों इस रात आप तवील कयाम , कुरान की तिलावत , नफ़िल नमाज़ की कसरत , जिक्र ओ अजकार मे माशगूल रहे और दुआ का एहतमाम और सबसे ज्यादा Shab E Qadr Ki Dua का एहतमाम करे ।
हमारी पांचों शब क़द्र मे कोई खास नमाज़ नहीं पढ़ी जाती ,
21 Shab E Qadar K Nawafil
23 Shab E Qadar K Nawafil
25 Shab E Qadar K Nawafil
27 Shab E Qadar K Nawafil
29 Shab E Qadar K Nawafil
आप इस रात जितना दिल चाहे नवाफ़िल नमाज़ पढे , Salatul Tasbeeh Namaz , Salatul Hajat , Salatul Tauba कोई भी नफ़िल नमाज़ पढ़ सकते है । इस रात आप ज्यादा से ज्यादा अपने लिए अपने घर वालों अपने वालिदैन और अपने रिश्तेदारों और तमाम मुसलमानों के लिए मग़फिरत की दुआ करे ।
क्या शब ऐ क़द्र और लैलातुल क़द्र मे कोई फरक है ।
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की शब ए क़द्र और लैलातुल क़द्र मे कोई फ़र्क़ नहीं है बल्कि लैलातुल क़द्र नाम तो कुरान की सूरत की वजह जाना गया है । लेकिन दोनों का मतलब एक ही है ।
conclusion
आज आपने Shab E Qadr Ki Fazilat और इसके अलावा भी बहुत कुछ जाना है । जैसे Shab E Qadr Ki Dua , Shab E Qadr Ki Namaz Ka Tarika , इसकी फ़ज़ीलत कुरान और हदीस मे क्या है सब कुछ अच्छे से सीखा है । अगर आप हमारी ये पोस्ट जरूरी समझते है तो इसे अपने दोस्तों तक भी पहुंचाए , ताकि उन्हे भी दीन की मुकम्मल और सही जानकारी मिल सके । जो इस रात नहीं जागते उनके पास भी इस पैगाम को पहुंचाए ।